दिल्ली-एनसीआर में 14 दिन के अंदर पांच बार भूकंप के झटके, कहीं किसी बड़े खतरे की आहट तो नहीं?


 दिल्ली-एनसीआर में मंगलवार सुबह भूकंप के झटके महसूस किए गए। इस दौरान जान-माल के किसी भी तरह के नुकसान की कोई सूचना नहीं है। पिछले 14 दिन में पांचवीं बार भूकंप आया है।

मंगलवार को राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र ने बताया कि 22 जुलाई की सुबह छह बजे आए भूकंप की तीव्रता 3.2 मापी गई। केंद्र फरीदाबाद में सतह से पांच किलोमीटर की गहराई में 28.29 डिग्री उत्तरी अक्षांश और 72.21 डिग्री पूर्वी देशांतर में था। इससे पहले 17 जुलाई रात 12:46 बजे हरियाणा के रोहतक में 3.3 तीव्रता का भूकंप आया, जिस दौरान दिल्ली-एनसीआर में भी हल्के कंपन महसूस किए गए। यह आठ दिनों में चौथा झटका था। इससे पहले 16 जुलाई को भी भूकंप के हल्के छटके महसूस किए गए इसका केंद्र हरियाणा के झज्जर जिले में था और तीव्रता रिक्टर पैमाने पर 2.5 मापी गई।

झज्जर में लगातार दो दिन आया भूकंप

11 जुलाई को शाम 7:49 बजे झज्जर (हरियाणा) में रिक्टर स्केल पर 3.7 की तीव्रता वाला भूकंप आया। इससे एक दिन पहले यानी 10 जुलाई को झज्जर में ही 4.4 तीव्रता का भूकंप आया था,दिल्ली, नोएडा, गुरुग्राम, गाजियाबाद और रोहतक सहित व्यापक क्षेत्र में झटके महसूस किए गए। कोई बड़ा नुकसान नहीं हुआ लेकिन करीब 10 सेकंड तक तेज झटकों से लोग डर गए और लोग घरों से बाहर निकल आए।

हल्के भूकंप बड़े भूकंप की चेतावनी हों जरूरी नहीं

राजधानी में पिछले 14 दिन में पांच हल्के भूकंप आने से लोगों के मन में यह भय हो रहा है कि कई यह बड़े भूकंप की चेतावनी तो नहीं, लेकिन इस बारे में राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केन्द्र के पूर्व कार्यालय प्रमुख एवं वरिष्ठ वैज्ञानिक जेएल गौतम ने बताया कि भूकंप आने का कोई पूर्वानुमान नहीं किया जा सकता है। महेंद्रगढ़ देहरादून फाल्ट और फरीदाबाद के पास स्थित फाल्ट में हलचल के कारण भूकंपीय गतिविधियां हो रही हैं। दिल्ली एनसीआर से जो फाल्ट लाइन से भूगर्भीय हलचलें होती हैं हल्के भूकंप आना सामान्य है। उन्होंने बताया कि शोध में ऐसा भी पाया गया है कि छोटी छोटी तीव्रता के भूकंप के कारण बड़े भूकंप के खतरे कम हो जाते हैं, लेकिन कई बार यह पूर्व संकेत भी हो सकता है ऐसे में हल्के भूकंप किसी बड़े भूकंप आने का संकेत हो ऐसा जरूरी नहीं है।

दिल्ली में आ चुके हैं बड़े भूकंप

दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में बीते 18 साल में चार बड़े भूकंप भी आ चुके हैं। राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केन्द्र के मुताबिक वर्ष 2007 में 25 नवंबर को 4.6 तीव्रता का भूकंप आया था। इस भूकंप का केन्द्र जमीन से दस किलोमीटर नीचे था। वर्ष 29 मई 2020 को 4.5 तीव्रता के भूकंप के झटके आए थे। इसी वर्ष 12 अप्रैल को 3.5 तीव्रता के भूकंप के झटके लगे थे। 17 फरवरी 2025 को 4.0 तीव्रता के झटके आए। इस तरह से वर्ष 2007 से लेकर अब तक का यह तीसरा सबसे बड़ा भूकंप रहा। अलग-अलग रिपोर्ट बताती हैं कि वर्ष 1720 से लेकर अब तक दिल्ली में कम से कम पांच ऐसे भूकंप आ चुके हैं।

भूकंप से जुड़े जरूरी सवालों के जवाब

  • दिल्ली भूकंप के लिहाज से कितनी संवेदनशील है?: राजधानी दिल्ली भूकंप जोन-4 में है, जहां भूकंप का खतरा हमेशा बना रहता है।
  • दिल्ली में भूकंप के लिए कौन सी भूगर्भीय हलचलें जिम्मेदार हैं?: सोहना, मथुरा, महेंद्रगढ़-देहरादून और दिल्ली-हरिद्वार फाल्ट लाइनें मुख्य कारण हैं।
  • फाल्ट लाइन क्या होती है?: यह धरती के अंदर दो चट्टानों के बीच की दरार होती है, जहां तनाव जमा होकर भूकंप का कारण बनता है।
  • भूकंप के बाद के 48 घंटे कितने संवेदनशील होते हैं? बड़े भूकंप के बाद आफ्टरशॉक आते हैं। छोटे झटके ऊर्जा निकालते हैं, लेकिन कभी-कभी बड़े भूकंप का संकेत भी हो सकते हैं।
  • भूकंप से नुकसान कैसे कम हो सकता है?: भूकंप से नहीं, इमारतों के गिरने से नुकसान होता है। भूकंप रोधी निर्माण तकनीक अपनाकर क्षति कम की जा सकती है।

ये सावधानी बरतें

भूकंप कब आएगा यह बताया नहीं जा सकता, लेकिन अगर हम पहले से तैयार रहें तो जान और माल दोनों की हिफाजत की जा सकती है। दिल्ली भूकंप के लिहाज से खतरे वाले इलाके में आता है। इसे सिस्मिक जोन-4 कहा जाता है। इसलिए यहां रहने वाले लोगों को पहले से सतर्क और तैयार रहना चाहिए। स्कूलों, दफ्तरों और घरों में समय-समय पर भूकंप से बचने की अभ्यास ड्रिल करें। सभी को यह सिखाएं कि भूकंप आने पर झुकें।

कम तीव्रता पर ज्यादा महसूस किए जाते हैं झटके

कई बार कम तीव्रता के भूकंप को भी काफी ज्यादा महसूस किया जाता है। यहां तक कि कई लोग तो भूकंप की आवाजें सुनने की भी बात कहते हैं। राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केन्द्र के पूर्व कार्यालय प्रमुख एवं वरिष्ठ वैज्ञानिक जेएल गौतम बताते हैं कि भूकंप का केन्द्र जमीन से जितनी ज्यादा गहराई में मौजूद होगा, उसे उतने ही ज्यादा दूर तक महसूस किया जाएगा लेकिन उसकी तीव्रता कम होगी। भूकंप का केन्द्र जमीन से जितना कम गहराई में मौजूद होगा, उतना ही कम दूरी पर उसे महसूस किया जाएगा, लेकिन उसकी तीव्रता ज्यादा होगी।




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