ALVA Foundation और कृषि विभाग लांजी की जैविक रागी खेती बनी प्रेरणा का स्रोत

 


बालाघाट, 9 मई:


रागी की बाली जब खेतों में लहराई, तो ALVA Foundation और कृषि विभाग लांजी (जिला बालाघाट) के समर्पण ने उसमें नई जान भर दी। यह प्रयास न केवल किसानों की मेहनत का प्रतीक है, बल्कि जैविक खेती को बढ़ावा देने वाली एक मजबूत पहल भी बन चुका है। “जय जवान, जय किसान” के संदेश के साथ इस क्षेत्र में स्थापित किया गया यह प्रदर्शन फार्म अब किसानों के लिए एक आदर्श उदाहरण बन गया है।




ALVA Foundation द्वारा कृषि विभाग लांजी के सहयोग से 5 एकड़ भूमि पर रागी की जैविक फसल का प्रदर्शन किया गया। इस फसल की बुवाई 10 जनवरी को की गई थी और यह 30 मई तक पूरी तरह पककर तैयार हो जाएगी। फसल पूरी तरह जैविक विधियों से तैयार की जा रही है—बगैर किसी रासायनिक खाद और कीटनाशक के। कृषि विशेषज्ञ धनेन्द्र साहू ने जानकारी दी कि जैविक खेती से न केवल फसल अधिक स्वास्थ्यवर्धक होती है, बल्कि इससे मिट्टी की उपजाऊ शक्ति भी बरकरार रहती है, जो दीर्घकालिक लाभ का आधार है।



इस अवसर पर कृषि विभाग के श्री समीर बिसेन ने किसानों को "जीरो टिलेज" यानी बिना जुताई की खेती के लाभ बताए। उन्होंने कहा कि यह तकनीक किसानों की लागत को घटाने के साथ-साथ उपज और मुनाफा बढ़ाने में भी मदद करती है। साथ ही यह पद्धति समय, ऊर्जा और जल की बचत करती है, जो सतत खेती की दिशा में एक आवश्यक कदम है।




रागी की लहलहाती फसल को देखकर आसपास के किसानों में उत्साह और जागरूकता बढ़ी है। कई किसानों ने कहा कि वे अब जैविक पद्धति से रागी की खेती करने का मन बना चुके हैं। उन्होंने माना कि यह खेती न केवल लाभकारी है, बल्कि स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए भी बेहतर है।


ALVA Foundation और कृषि विभाग लांजी की यह साझेदारी जैविक और सतत कृषि को बढ़ावा देने की दिशा में एक प्रेरक कदम है। यह पहल आने वाले समय में बालाघाट जिले के किसानों के लिए एक नई दिशा और नई उम्मीद लेकर आई है।


एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ