तारीख पर तारीख...और फिर अगली तारीख! राजधानी की जिला अदालतों में यही सिलसिला चल रहा है। वर्तमान में राजधानी दिल्ली की सात जिला अदालतों में ...
तारीख पर तारीख...और फिर अगली तारीख! राजधानी की जिला अदालतों में यही सिलसिला चल रहा है। वर्तमान में राजधानी दिल्ली की सात जिला अदालतों में 15,62,533 लाख मुकदमों का बोझ है। इनमें से 2,19,040 लाख सिविल मुकदमे हैं, जबकि 13,43,493 आपराधिक मुकदमे लंबित हैं।
इंसाफ की रफ्तार धीमी
3.18 लाख मामले वकीलों के पेश नहीं होने से अटके पड़े हैं, जो कि कुल लंबित मामलों का करीब 20% कारण है। वहीं, 2.21 लाख मुकदमों पर किन्हीं कारणों से स्टे लगा हुआ और 26 हजार से अधिक मुकदमों में भगोड़े अपराधियों ने न्याय की रफ्तार को धीमा कर दिया है। हालात ये हैं कि कई मामलों में वादियों को अगली सुनवाई के लिए छह से नौ माह तक का लंबा इंतजार करना पड़ रहा है। न्यायिक प्रक्रिया में देरी से परेशान होकर तीन हजार से अधिक वादियों ने अपने मुकदमे लड़ने ही छोड़ दिए हैं। इस खींचतान में आम लोगों के लिए अदालत की चौखट तक पहुंचना ही नहीं, बल्कि वहां से न्याय पाना भी मुश्किल हो चुका है।
लंबित होने के कारण संख्या
वकील नहीं हो रहे पेश: 318683
भगोड़े अपराधी: 26287
दस्तावेजों का इंतजार: 20819
हाईकोर्ट से स्टे: 630
सुप्रीम कोर्ट से स्टे: 43
मुकदमे लड़ने छोड़ दिए: 3197
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