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यमुना-चंबल की बाढ़ ने फिर बढ़ाई चिंता, किसानों की तीसरी बोई फसल भी जलमग्न होने की कगार पर

इटावा/चकरनगर। यमुना और चंबल नदियों का जलस्तर एक बार फिर बढ़ने लगा है, जिससे किनारे बसे किसानों और ग्रामीणों की चिंता गहरा गई है। पहली बाढ़ उ...



इटावा/चकरनगर। यमुना और चंबल नदियों का जलस्तर एक बार फिर बढ़ने लगा है, जिससे किनारे बसे किसानों और ग्रामीणों की चिंता गहरा गई है। पहली बाढ़ उतरने के बाद किसानों ने मुश्किल से अपनी फसल बोई थी, लेकिन अब तीसरी बार बाढ़ का पानी खेतों में भरने से उनकी मेहनत पर संकट मंडरा रहा है।


यदि फसलें दोबारा जलमग्न हो गईं तो किसानों के पास न तो पशुओं के लिए चारा बचेगा और न ही घरों के लिए अन्न। कई गांव पूरी तरह बाढ़ की चपेट में आ गए हैं। खेत-खलिहान से लेकर घर तक सब कुछ पानी में डूब गया है। झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वाले गरीब परिवार सबसे ज्यादा प्रभावित हैं। तेज बारिश के चलते नदी का पानी खतरे के निशान से ऊपर पहुंच गया है और मिट्टी के घर, गरीबों की जमा-पूंजी व मेहनत से जुड़े सपने सब बह गए हैं।


ग्रामीणों का कहना है कि 15 दिन पहले आई बाढ़ से भी उन्हें नुकसान उठाना पड़ा था, लेकिन उन्होंने हिम्मत करके फिर से खेत तैयार किए। अब दोबारा पानी आने से बीज बह गए और उम्मीदें भी टूट गईं। ग्रामीण बताते हैं कि घर उजड़ चुके हैं, बच्चों को भरपेट खाना तक नसीब नहीं हो रहा है। लोग रातभर मच्छरों से लड़ते हैं और दिनभर खुले आसमान तले बैठे रहते हैं।


ग्रामीणों का कहना है कि अगर जल्द प्रशासन से कोई मदद नहीं मिली, तो अगली फसल में खेतों में अनाज की जगह केवल मायूसी ही उगेगी।




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