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गाजियाबाद को उद्यमियों को बेचे गए प्लॉट अब वापस लिए जाएंगे, क्या है वजह

 गाजियाबाद में इंद्रप्रस्थ योजना के उद्यमियों को 45 मीटर चौड़ी सड़क बताकर प्लॉट बेच दिए गए। अब मौके पर केवल 5 मीटर चौड़ी सड़क दी गई है। इसका...



 गाजियाबाद में इंद्रप्रस्थ योजना के उद्यमियों को 45 मीटर चौड़ी सड़क बताकर प्लॉट बेच दिए गए। अब मौके पर केवल 5 मीटर चौड़ी सड़क दी गई है। इसका विरोध होने पर जीडीए बेचे गए प्लॉटों को वापस लेने की तैयारी कर रहा है।



गाजियाबाद विकास प्राधिकरण (जीडीए) इंद्रप्रस्थ योजना के बी पॉकेट में सभी प्लॉट औद्योगिक हैं, जिसमें से 50 से अधिक बिके नहीं थे। जून 2020 में प्राधिकरण ने 45 प्लॉटों को नीलामी के जरिये उद्यमियों को बेच दिया। उस वक्त मूलभूत सुविधाएं मुहैया कराकर तीन महीने में कब्जा देने की बात कही गई थी। जब उद्यमी मौके पर पहुंचे तो वहां गड्ढे मिले। कई शिकायतों के बाद गड्ढे भर दिए गए पर 45 मीटर की जगह 5 मीटर चौड़ी सड़क मिली। इसकी शिकायत करने पर गाजियाबाद विकास प्राधिकरण वीसी ने एक कमेटी बनाई।




450 वर्ग मीटर से लेकर 820 वर्ग मीटर तक थे प्लॉट : उद्यमी अरुण गुप्ता का कहना है कि गाजियाबाद विकास प्राधिकरण का यह फैसला उनके साथ धोखाधड़ी है। कोरोना काल के दौरान वर्ष 2000 में नीलामी के जरिये 17,500 प्रति वर्ग की दर से 820 वर्ग मीटर प्लॉट खरीदा था। फिर इसका क्षेत्रफल कम करते हुए 780 कर दिया। अब गाजियाबाद विकास प्राधिकरण प्लॉट से और जमीन मांग रहा है, जबकि उनके आसपास 450 वर्ग मीटर क्षेत्रफल के प्लॉट हैं। ऐसे में इनकी भी जमीन कम होगी, तो उद्यमियों को प्लॉट काफी छोटे मिलेंगे, जो कि बहुत गलत कदम है। इस कदम से उद्यमी खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं।

 

उद्यमियों को नहीं मिली छूट: उद्यमियों को कहना है कि बी पॉकेट के प्लॉट संख्या एक से आठ और 36 से 45 के सामने सड़क की समस्या है। वह बताते हैं कि कोरोना काल में उन्हें बताया गया था कि किश्त में उन्हें दो फीसदी की छूट दी जाएगी, लेकिन प्राधिकरण की तरफ से कोई छूट नहीं दी जा रही है। साथ ही भूखंड की जो जमीन कम हुई है, उस पर वसूला गया ब्याज भी वापस नहीं दिया गया है। इसी कारण इन प्लॉटों की रजिस्ट्री भी नहीं हो सकी है।


जमीन लेकर मुआवजा देंगे


कमेटी ने उद्यमियों को प्रस्ताव दिया है कि यदि उन्हें चौड़ी सड़क चाहिए तो अपने प्लॉटों से जमीन देनी होगी, जिसका मुआवजा ब्याज समेत दिया जाएगा। उद्यमियों को कहना है कि लेआउट के हिसाब से 45 मीटर चौड़ी सड़क दिखाई गई। ऐसे में नियोजन विभाग और अधिकारियों की कार्यशैली पर प्रश्न चिह्न लग रहे हैं, क्योंकि दिल्ली जाने वाली पाइपलाइन बीच में आने से सड़क का निर्माण होना पूर्व में भी मुश्किल था। ऐसे में प्लॉट से जमीन लेने का विचार गलत है।


अरुण गुप्ता, अध्यक्ष, इंडस्ट्रियल एसोसिएशन ऑफ एमएसएमई, ''45 मीटर चौड़ी सड़क बताकर 12 मीटर देने की बात कर रहे हैं। ब्याज में छूट नहीं दी जा रही है। इससे निवेश रुका हुआ है।''

 

आलोक रंजन, चीफ इंजीनियर, जीडीए, ''उद्यमियों से जमीन लेनी होगी, जिसका मुआवजा मिलेगा। उद्यमियों को प्रस्ताव दिया गया है। सहमति पर सड़क बनाई जाएगी।''




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