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जमीयत के नेताओं को बांग्लादेश भेज देना चाहिए…इस्तीफे की मांग पर भड़के CM सरमा

 असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने शनिवार को कहा कि उन्हें इस बात की परवाह नहीं है कि राज्य के विभिन्न हिस्सों में बेदखली अभियान को ले...


 असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने शनिवार को कहा कि उन्हें इस बात की परवाह नहीं है कि राज्य के विभिन्न हिस्सों में बेदखली अभियान को लेकर जमीयत-उलेमा-ए-हिंद द्वारा उनके इस्तीफे की मांग की जा रही है. जमीयत ने हिमंत पर घृणा फैलाने से जुड़े कानूनों के तहत भी मामला दर्ज करने की मांग की है.


सीएम सरमा घुसपैठियों पर हुए अतिक्रमण से पीड़ित जमीयत-उलेमा-ए-हिंद और उसके मित्र दल कांग्रेस, असम में सत्ता परिवर्तन करना चाहते हैं. लेकिन यह निर्णय असम की जनता का होगा, जमीयत का नहीं. उन्होंने कहा कि अगर मेरा बस चले तो जमीयत के नेताओं को भी बांग्लादेश भेज देना चाहिए.

 

मुसलमानों का सबसे प्रभावशाली संगठन


बता दें कि साल 1919 में स्थापित जमीयत-उलेमा-ए-हिंद को भारतीय मुसलमानों का सबसे बड़ा और सबसे प्रभावशाली संगठन माना जाता है. सीएम सरमा ने मोरीगांव में एक कार्यक्रम से इतर मीडिया से कहा, मैं आधिकारिक तौर पर उन्हें अपना बुरहा अंगुली (अंगूठा) दिखा रहा हूं. मेरे इस अंगूठे में असमिया खून, ताकत और साहस है. मुझे उनकी मांगों की परवाह नहीं है.


असम में जारी बेदखली अभियानों को लेकर चिंता


मदनी की अध्यक्षता में जमीयत की कार्यसमिति ने बुधवार को असम में जारी बेदखली अभियानों को लेकर चिंता व्यक्त की जिसके कारण 50,000 से अधिक परिवार बेघर हो गए हैं, जिनमें ज्यादातर बांग्ला भाषी मुसलमान हैं. एक प्रस्ताव पारित करते हुए संगठन ने भारत के संवैधानिक प्राधिकारियों (विशेषकर भारत के राष्ट्रपति और भारत के प्रधान न्यायाधीश) से असम के मुख्यमंत्री को तुरंत हटाने और उनके खिलाफ नफरत फैलाने वाले भाषण के लिए आपराधिक कार्रवाई शुरू करने का आह्वान किया.


160 वर्ग किलोमीटर से अधिक भूमि अतिक्रमण से मुक्त


मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया कि मदनी ने ही कांग्रेस सरकार में शिक्षा मंत्री रहते हुए शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) उत्तीर्ण करने वाले शिक्षकों की नियुक्ति नहीं होने दी थी. हिमंत बिस्वा सरमा ने हाल में दावा किया था कि मई 2021 में उनकी सरकार के सत्ता में आने के बाद से 160 वर्ग किलोमीटर से अधिक भूमि अतिक्रमण से मुक्त कराई गई है, जिससे 50,000 से अधिक लोग प्रभावित हुए हैं.


उन्होंने कहा कि वन भूमि, वीजीआर (ग्राम चरागाह रिजर्व), पीजीआर (पेशेवर चरागाह रिजर्व), वैष्णव मठ, नामघर (प्रार्थना स्थल) और अन्य सार्वजनिक क्षेत्रों पर सभी अनधिकृत कब्जों को चरणबद्ध तरीके से हटाया जाएगा.




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