दिल्ली हाईकोर्ट ने अपने एक फैसले में स्पष्ट किया है कि भर्ती परीक्षाओं की ओएमआर शीट में रोल नंबर बबलिंग की मामूली त्रुटि के आधार पर अभ्यर्...
दिल्ली हाईकोर्ट ने अपने एक फैसले में स्पष्ट किया है कि भर्ती परीक्षाओं की ओएमआर शीट में रोल नंबर बबलिंग की मामूली त्रुटि के आधार पर अभ्यर्थी की उम्मीदवारी रद्द करना अन्यायपूर्ण है। हाईकोर्ट के इस फैसले से छह साल तक चली कानूनी लड़ाई के बाद अब याचिकाकर्ता महिला अभ्यर्थी कुसुम गुप्ता को न्याय मिला है।
जस्टिस नवीन चावला और जस्टिस मधु जैन की डिवीजन बेंच ने दिल्ली अधीनस्थ सेवा चयन बोर्ड (डीएसएसएसबी) को यह आदेश दिया है कि याचिकाकर्ता कुसुम गुप्ता को प्रशिक्षित स्नातक शिक्षक (विशेष शिक्षक) के पद पर आठ सप्ताह के भीतर नियुक्ति पत्र जारी किया जाए। साथ ही उन्हें आनुमानिक वरिष्ठता और अन्य सेवा लाभ देने के निर्देश दिए गए, हालांकि बकाया वेतन-भत्ते नियुक्ति की तिथि से ही देय होंगे।
बेंच ने पाया कि याचिकाकर्ता महिला कुसुम गुप्ता की ओएमआर शीट का मूल्यांकन हुआ था और वह परीक्षा में सफल घोषित की गई थीं। यहां तक कि ई-डॉसियर अपलोड करने के लिए भी बुलाया गया था। इसके बावजूद उनकी उम्मीदवारी रद्द करना नियमों का कठोर और अनुचित प्रयोग है।
वकील अनुज अग्रवाल के माध्यम से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए अदालत ने माना कि अभ्यर्थी ने परीक्षा के प्रत्येक चरण को पार किया है, ऐसे में मामूली तकनीकी त्रुटि उसकी उम्मीदवारी खत्म करने का आधार नहीं हो सकती।
दरअसल, डीएसएसएसबी ने 2017 में टीजीटी स्पेशल एजुकेशन टीचर्स के लिए विज्ञापन निकाला था। कुसुम गुप्ता ने लिखित परीक्षा पास कर ली, लेकिन फरवरी 2019 की फाइनल लिस्ट से उनका नाम हटा दिया गया। जब उन्होंने इसका कारण पूछा तो बताया गया कि ओएमआर शीट में रोल नंबर गलत बबल हुआ।
छह साल की कानूनी लड़ाई के बाद अब उन्हें न्याय मिला है। हालांकि, राहत सीमित अभ्यर्थियों को दी गई है पर यह फैसला भर्ती परीक्षाओं में तकनीकी आधार पर उम्मीदवारी खारिज करने की प्रवृत्ति पर रोक लगाने वाला अहम आदेश माना जा रहा है।
कोई टिप्पणी नहीं