गाजियाबाद। मोदीनगर निवासी समाजसेवी बीके शर्मा ने कहा कि “सेवा परमो धर्म:” वाणी को आत्मसात कर जीवन में उतारने वाले ही भविष्य में महामानव की...
गाजियाबाद। मोदीनगर निवासी समाजसेवी बीके शर्मा ने कहा कि “सेवा परमो धर्म:” वाणी को आत्मसात कर जीवन में उतारने वाले ही भविष्य में महामानव की उपाधि पाते हैं।
उन्होंने अपने बाल्यकाल से ही समाज सेवा को अपना धर्म मानते हुए तिरंगा यात्राओं का आयोजन, शहीदों की प्रतिमाओं पर माल्यार्पण और गरीबों की सेवा जैसे कार्य किए हैं। शर्मा का मानना है कि राष्ट्र सेवा केवल सीमा पर तैनात सैनिकों का कर्तव्य नहीं, बल्कि प्रत्येक नागरिक का दायित्व है कि वह मातृभूमि, जन्मभूमि और कर्मभूमि की किसी न किसी रूप में सेवा करे।
बीके शर्मा ने कहा कि बच्चों में बाल्यकाल से ही सेवा की भावना विकसित करनी चाहिए। माता-पिता की सेवा परम सेवा है और इसका पालन करना हर संतति का धर्म है। जो संतान इस कर्तव्य से विमुख होती है, वह मानव कहलाने योग्य नहीं है।
उन्होंने आगे कहा कि समाज में हो रही विघटनकारी प्रवृत्तियों और टूटते रिश्तों को रोकने के लिए सेवा की भावना आवश्यक है। यही भावना परिवार और समाज को मजबूत करती है तथा व्यक्ति से व्यक्ति के बीच के दुराव को कम करती है।
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