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निठारी केस: सुरेंद्र कोली को बेल देना सही; SC ने बरकरार रखा इलाहाबाद HC का फैसला

 देश को झकझोर कर रख देने वाले निठारी कांड को भले बरस बीत गए,लेकिन कानूनी लड़ाई अब भी जारी है। इल केस से जुड़े आरोपी सुरेंद्र कोली की बेल को ...


 देश को झकझोर कर रख देने वाले निठारी कांड को भले बरस बीत गए,लेकिन कानूनी लड़ाई अब भी जारी है। इल केस से जुड़े आरोपी सुरेंद्र कोली की बेल को देश की सर्वोच्च अदालत में चुनौती दी गई थी जिसपर आज सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया है। शीर्ष अदालत ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के कोली को जमानत वाले फैसले को सही ठहराते हुए कहा कि अदालत के फैसले में कोई गलती नहीं है। इस तरह से सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा है।

 

सुरेंद्र कोली की जमानत का विरोध वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इलाहाबाद हाई कोर्ट के उस फैसले में कोई गलती नहीं थी, जिसमें निठारी कांड के आरोपी सुरेंद्र कोली को बरी किया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने 2006 के निठारी सीरियल किलिंग मामले में सुरेंद्र कोली को बरी करने के खिलाफ दायर सभी 14 अपीलों को खारिज कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि निठारी मामले में खोपड़ियों और पीड़ितों के अन्य सामान की बरामदगी सुरेंद्र कोली के बयान के बाद खुले नाले से नहीं की गई थी।

 

सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बी आर गवई और न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा और के विनोद चंद्रन की पीठ ने कहा कि कोली को बरी करने के इलाहाबाद हाई कोर्ट के निष्कर्षों में कोई गलती नहीं थी। साक्ष्य अधिनियम की धारा 27 का जिक्र करते हुए, मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि पीड़ितों की खोपड़ियों और अन्य सामान की बरामदगी पुलिस के सामने कोली के बयान के बाद खुले नाले से नहीं की गई थी।

 

पीठ ने कहा कि पुलिस द्वारा आरोपी का बयान दर्ज किए बिना की गई कोई भी बरामदगी साक्ष्य कानून के तहत सबूत के तौर पर स्वीकार्य नहीं है। पीठ ने कहा कि केवल वही बरामदगी, जो ऐसी जगह से की जाती है जहां केवल आरोपी की पहुंच हो, उसे ही ऐसे मामले में सबूत के तौर पर स्वीकार किया जा सकता है जो मुख्य रूप से परिस्थितिजन्य साक्ष्य पर निर्भर करता है।


पिछले साल सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के 16 अक्टूबर, 2023 के फैसले को चुनौती देने वाली अलग-अलग याचिकाओं पर विचार करने पर सहमति व्यक्त की थी, जिनमें सीबीआई और उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा दायर याचिकाएं भी शामिल थीं, जिन्होंने कोली को बरी करने के फैसले को चुनौती दी थी। एक याचिका पीड़ित के पिता द्वारा हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए दायर की गई थी।

 

उत्तर प्रदेश के निठारी में अपने पड़ोस से बच्चों सहित कई लोगों के बलात्कार और हत्या के आरोपी मनिंदर सिंह पंढेर और उसके घरेलू सहायक सुरेंद्र कोली को अब इस मामले में राहत मिली है। ट्रायल कोर्ट ने 28 सितंबर, 2010 को कोली को मौत की सजा सुनाई थी। हालांकि, हाईकोर्ट ने पंढेर और कोली को मौत की सजा के मामले में यह कहते हुए बरी कर दिया कि अभियोजन पक्ष उचित संदेह से परे उनका अपराध साबित करने में विफल रहा। कोर्ट ने इसे गड़बड़ जांच करार दिया। कोली को 12 मामलों में और पंढेर को 2 मामलों में दी गई मौत की सजा को पलटते हुए, हाईकोर्ट ने कहा कि जांच जिम्मेदार एजेंसियों द्वारा जनता के विश्वास के साथ विश्वासघात से कम नहीं थी।




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