देश की राजधानी दिल्ली, जिसकी रफ्तार कभी थमती नहीं, अब अपनी महिलाओं को नाइट शिफ्ट में काम करने का कानूनी हक देने जा रही है। मंगलवार को दिल्ल...
देश की राजधानी दिल्ली, जिसकी रफ्तार कभी थमती नहीं, अब अपनी महिलाओं को नाइट शिफ्ट में काम करने का कानूनी हक देने जा रही है। मंगलवार को दिल्ली सरकार ने एक ऐतिहासिक फैसले में महिलाओं को दुकानों और व्यावसायिक प्रतिष्ठानों में रात की शिफ्ट में काम करने की अनुमति देने के लिए कानून में बदलाव को मंजूरी दी। यह पहली बार है जब 1954 के बाद दिल्ली में महिलाओं के लिए रात का कामकाज कानूनी और सुरक्षित होगा।
सुरक्षा पहले, काम बाद
दिल्ली सरकार ने इस बदलाव को लागू करने के लिए कड़े सुरक्षा नियम बनाए हैं। महिलाओं के लिए सुरक्षित परिवहन, वर्क प्लेस पर व्यापक सीसीटीवी निगरानी और महिला सुरक्षा गार्ड की तैनाती अनिवार्य होगी। इसके अलावा, कर्मचारियों की सहमति और रात की शिफ्ट न करने की स्थिति में बर्खास्तगी से सुरक्षा जैसे कानूनी प्रावधान भी शामिल हैं।
सुप्रीम कोर्ट का साथ
पिछले साल सुप्रीम कोर्ट ने भी महिलाओं पर रात की शिफ्ट में काम करने की व्यापक पाबंदियों को खारिज करते हुए कहा था कि सरकार का काम सुरक्षा सुनिश्चित करना है, न कि महिलाओं को काम से रोकना। पूर्व चीफ जस्टिस डी. वाई. चंद्रचूड़ ने कहा था, 'पायलट, सेना के जवान और अन्य लोग रात में काम करते हैं। महिलाओं को क्यों रोका जाए?'
दिल्ली बनेगी 24x7 बिजनेस हब
मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने इस नीति को दिल्ली को 24 घंटे चलने वाला बिजनेस हब बनाने की दिशा में बड़ा कदम बताया। उन्होंने कहा, 'यह कदम न केवल महिलाओं की आर्थिक स्वतंत्रता को बढ़ावा देगा, बल्कि दिल्ली को कारोबारी सुगमता के मामले में भी आगे ले जाएगा।' इस प्रस्ताव को अब उपराज्यपाल की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा।
पुराने नियमों को अलविदा
फिलहाल दिल्ली शॉप्स एंड एस्टैब्लिशमेंट एक्ट, 1954 की धारा 14, 15 और 16 के तहत गर्मियों में रात 9 बजे से सुबह 7 बजे तक और सर्दियों में रात 8 बजे से सुबह 8 बजे तक महिलाओं के काम पर रोक है। नए संशोधन इन पाबंदियों को हटाकर रिटेल स्टोर, सैलून, शोरूम, कॉल सेंटर, आईटी कंपनियों और अन्य व्यावसायिक प्रतिष्ठानों में महिलाओं को रात में काम करने की अनुमति देंगे।
काम की शर्तें और सुविधाएं
महिलाओं को रात की शिफ्ट में तभी काम करना होगा, जब वे लिखित सहमति दें। नियोक्ताओं को सुरक्षित परिवहन, महिला गार्ड, सीसीटीवी, अच्छी रोशनी वाले पिक-अप और ड्रॉप पॉइंट, साफ रेस्टरूम, लॉकर और POSH एक्ट के तहत आंतरिक शिकायत समितियों जैसे नियमों का पालन करना होगा। इसके अलावा, वेतन का भुगतान इलेक्ट्रॉनिक रूप से होगा और कर्मचारियों को ESI, PF, बोनस, साप्ताहिक अवकाश और ओवरटाइम जैसे सभी वैधानिक लाभ मिलेंगे।
क्या है एक्सपर्ट की राय?
सेफ्टीपिन की कोफाउंडर कल्पना विश्वनाथ ने इस नीति को स्वागत योग्य बताया, लेकिन साथ ही चेतावनी दी कि बुनियादी ढांचे का सख्ती से विकास जरूरी है। उन्होंने कहा, 'केवल कार्यस्थल ही नहीं, परिवहन के दौरान भी सुरक्षा सुनिश्चित होनी चाहिए। पिक-अप और ड्रॉप पॉइंट्स पर पर्याप्त रोशनी और सुरक्षा जरूरी है।' वरिष्ठ अधिवक्ता माधवी दीवान ने मौजूदा प्रतिबंधों को पितृसत्तात्मक करार देते हुए कहा, 'महिलाओं को रात में काम करने से रोकने वाले कानून उनकी करियर पसंद, आर्थिक स्वतंत्रता और सामाजिक स्थिति को सीमित करते हैं। यह कदम सरकार की जिम्मेदारी लेने की इच्छाशक्ति दिखाता है।'
अन्य राज्यों से प्रेरणा
तमिलनाडु, मध्य प्रदेश, तेलंगाना और हरियाणा जैसे राज्यों ने पहले ही महिलाओं को रात की शिफ्ट में काम करने की अनुमति दे दी है। दिल्ली का यह कदम न केवल कारोबारी सुगमता को बढ़ाएगा, बल्कि सेवा क्षेत्रों जैसे आईटी, बीपीओ और हॉस्पिटैलिटी में महिलाओं के लिए रोजगार के नए अवसर भी खोलेगा।
असली परीक्षा अभी बाकी
कल्पना विश्वनाथ ने कहा, 'इस नीति की असली परीक्षा इसके अमल में होगी। बिना जवाबदेही के महिलाएं असुरक्षित रहेंगी। लेकिन सही समर्थन के साथ, यह बदलाव का एक शक्तिशाली पल हो सकता है।' यह प्रस्ताव अब उपराज्यपाल की मंजूरी का इंतजार कर रहा है। मंजूरी मिलने के बाद, रात की शिफ्ट में महिलाओं को नियुक्त करने वाले प्रतिष्ठानों को अनुपालन का वचन देना होगा और उनके निरीक्षण भी हो सकते हैं।
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