मछली खाने वाले हो जाएं सावधान! कानपुर यूनिवर्सिटी की ये रिसर्च डरा रही, आखिर क्यों?

 


अगर आप मछली खाने के शौकीन हैं तो सावधान हो जाइए. क्योंकि गंगा में घुल रहे अपशिष्ट मछलियों के माध्यम से मानव शरीर में पहुंच सकते हैं, जो की बेहद हानिकारक हैं. कानपुर विश्वविद्यालय छत्रपति शाहूजी महाराज की एक टीम ने गंगा में मिली रोहू मछली पर एक रिसर्च करते हुए लोगों को सावधान रहने की सलाह दी है.विश्वविद्यालय की लाइफ साइंस डिपार्टमेंट की टीम हेड विभाग की डीन प्रोफेसर वर्षा गुप्ता के साथ उनकी तीन सदस्यों ने रिसर्च की है.


रिसर्च सर्दी और गर्मी दोनों ही मौसम में रोहू मछली पर ही की गई है. जिसमें भारी मात्रा में आर्सेनिक, कैडमियम, कोबाल्ट, क्रोमियम, लेड के साथ ही थैलियम की सांद्रता अधिक मिली है. शोध टीम के सदस्यों ने कहा कि लोगों को मछली खाने में बहुत ही सावधानी की जरूरत है क्योंकि यह आपके पेट में अपशिष्ट के रूप में भारी धातु में पहुंच सकती हैं, जो की अपच हैं और काफी समय शरीर में बनी रहती हैं. अगर ऐसा होता है तो कई गंभीर बीमारियों के होने का खतरा बढ़ जाता है.


रोहू मछली ज्यादातर लोगों की पसंद है. क्योंकि इसमें ओमेगा 3 नामक फैटी एसिड पाया जाता है जो दिल के लिए बेहद फायदेमंद होता है. इस मछली में वसा की मात्रा भी कम होती है. इसे खाने से मनुष्य को ताकत मिलती है. मछली कैंसर जैसी भयानक बीमारियों से बचने के लिए खाई जाती है, लेकिन इस रिसर्च के बाद लोगों को यह ध्यान देना होगा कि यह जितनी फायदेमंद है, उतना ही शरीर को नुकसान भी पहुंचा सकती है.

कानपुर यूनिवर्सिटी की टीम ने किया रिसर्च


छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय के लाइफ साइंस डिपार्टमेंट के डीन प्रोफेसर वर्षा गुप्ता और उनकी टीम की शिखा सिंह, नलनी दुवेदी, और सीमा परोह ने इस रिसर्च में पाया कि गंगा में पाई जाने वाली मछलियां दूषित पानी पी रही हैं. जिससे उनका स्वास्थ्य खुद बिगड़ा हुआ है. ऐसे में मनुष्य के द्वारा इन्हें खाया जाना नुकसानदायक होगा. नदी के जल में भी क्रोमियम, लेड, कोबाल्ट, आर्सेनिक, कैडमियम थैलियम की सांद्रता अधिक है.


क्या बोलीं प्रोफेसर वर्षा गुप्ता?


प्रोफेसर वर्षा गुप्ता ने बताया कि इस शोध में सर्दी और गर्मी के दोनों मौसम को शामिल किया गया है जिसमें गर्मी के दिनों में मछलियों में भारी धातुओं की मात्रा अधिक मिली है. उनका कहना हैं कि कम जल प्रवाह और उच्च वाष्पीकरण दर के कारण गर्मियों में इन धातुओं की मात्रा अधिक मिलना एक खतरनाक संकेत है. रोहू मछली के गुर्दा, आंत, गलफड़ में यह धातुएं मिली हैं. टीम ने गंगा नदी में पाई जाने वाली और मछलियों पर भी रिसर्च की है. उनमें भी भारी धातुओं की अधिक मात्रा मिली हैं. टीम ने यह शोध (आईसीपी और ओइएस ) तकनीकी का उपयोग कर किया है.




Post a Comment

और नया पुराने
Do you have any doubts? chat with us on WhatsApp
Hello, How can I help you? ...
Click me to start the chat...