आदिवासी अधिकार, आरक्षण और पहचान के मुद्दों पर केंद्रित रहा मंच
दैनिक सरोकार ! निशांत शर्मा
नई दिल्ली, 9 जून 2025: धरती बाबा भगवान बिरसा मुंडा की 125वीं पुण्यतिथि पर दिल्ली के कॉन्स्टीट्यूशन क्लब में एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन हुआ। यह कार्यक्रम मशाल सोशल वेल्फेयर सोसाइटी (MSWS) एवं अम्बेडकर बिरसा जीविका सूजन समिति और अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद के संयुक्त तत्वावधान में सम्पन्न हुआ ।
बतौर मुख्य अतिथि माननीय केंद्रीय जनजातीय कल्याण मंत्री श्री जुएल ओराम शामिल हुए। इस दौरान उन्होंने कहा कि मैं भगवान बिरसा मुंडा की 125वीं पुण्यतिथि पर आयोजित इस राष्ट्रीय संगोष्ठी में उपस्थित होकर गौरव का अनुभव कर रहा हूँ। यह केवल एक आयोजन नहीं, बल्कि आदिवासी समाज की चेतना, संघर्ष और पहचान का उत्सव है। मैं मशाल सोशल वेल्फेयर सोसाइटी, अवाज और अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद को इस कार्यक्रम के लिए हार्दिक बधाई देता हूँ।
भगवान बिरसा मुंडा हमारे उन महान नायकों में से हैं जिन्होंने बहुत कम उम्र में ब्रिटिश सत्ता को चुनौती दी और जनजातीय अस्मिता की लौ जलाए रखी। आज जब हम उन्हें स्मरण करते हैं, तो यह केवल इतिहास को दोहराना नहीं है, बल्कि उनके सपनों को साकार करने की जिम्मेदारी भी है।
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में हमारी सरकार ने जनजातीय समाज के लिए अनेक ऐतिहासिक कदम उठाए हैं — चाहे वह ‘जनजातीय गौरव दिवस’ की घोषणा हो, आदिवासी राष्ट्रपति का निर्वाचन हो, या देशभर में एकलव्य मॉडल स्कूलों का निर्माण। यह सरकार आदिवासियों को केवल लाभार्थी नहीं, बल्कि राष्ट्रनिर्माता के रूप में देखती है। मै हर परिस्थिति में आदिवासी समाज के लिए सदैव तत्पर हूं और इस समाज के उत्थान के लिए हमेशा प्रयासरत हूं ।
राष्ट्रीय संगोष्ठी में दिल्ली की लगभग 35 लाख आदिवासी आबादी के संवैधानिक अधिकारों और आरक्षण की मांग प्रमुखता से उठी।
MSWS अध्यक्ष डॉ. मोहन बड़ाईक ने संस्था के 25 वर्षों के कार्यों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि आदिवासी समाज के उत्थान हेतु शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार और सांस्कृतिक जागरूकता के क्षेत्र में कार्य हो रहे हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी के आदिवासी हितैषी फैसलों की सराहना करते हुए दिल्ली के आदिवासियों के लिए आरक्षण की मांग दोहराई।
उन्होंने भूरिया कमीशन रिपोर्ट (2004) का उल्लेख करते हुए बताया कि दिल्ली की 8–10% आबादी अनुसूचित जनजातियों की है, जिन्हें अब भी अधिकार नहीं मिल पाए हैं।
संगोष्ठी में DAPST योजना, जनजातीय न्याय महाअभियान, और सरकारी नौकरियों में आरक्षण जैसे मुद्दों पर विस्तृत चर्चा हुई। कार्यक्रम में नीति आयोग, योजना आयोग और विश्वविद्यालयों से जुड़े विशेषज्ञों ने भी विचार साझा किए।
यह आयोजन आदिवासी समाज की आवाज को मजबूती देने और नीति-निर्माताओं तक पहुंचाने की दिशा में अहम कदम सिद्ध हुआ।
राष्ट्रीय जनजातीय सेमिनार आयोजन को गैस ऑथोरिटी ऑफ इण्डिया लिमिटेड (GAIL) NHPC LIMITED और SJVN LIMITED के सौजन्य से किया गया था तथा POWER GILT के द्वारा सेमिनार किट सहयोग प्रदान की गयी थी । कार्यक्रम संचालन समिती में श्री प्रकाश बन्धू, डॉ मुकेश जैन, अजय शर्मा, रजनीकांत, तोताराम भील, सौदानी आदिवासी, सिल्वेस्तर कुजूर, पुष्पिका कुजूर, प्रतिमा मिंज, रतन बड़ाईक, लक्ष्मण पॉर्जा आदि सम्पूर्ण भारतवर्ष से 150 लोग शामिल हुए।
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