यहां तो पहाड़ भी नहीं, फिर दिल्ली-एनसीआर में बार-बार क्यों आता है भूकंप? वजह समझ लीजिए
दिल्ली-एनसीआर में आए दिन भूकंप के झटके महसूस होने की खबरें सुर्खियों में रहती हैं। कभी हल्के झटके, तो कभी थोड़े तेज, लेकिन सवाल वही है आखिर क्यों बार-बार हिलती है यहां की जमीन? क्या दिल्ली भूकंप के लिए ज्यादा संवेदनशील है, या फिर कोई और वजह है? आइए इसे समझते हैं।
हिमालय का से कनेक्शन
दिल्ली-एनसीआर भले ही हिमालय से सैकड़ों किलोमीटर दूर हो, लेकिन भूकंप की कहानी का सबसे बड़ा किरदार वही है। हिमालय पृथ्वी की टेक्टॉनिक प्लेट्स के टकराव से बना है। भारतीय प्लेट और यूरेशियन प्लेट के बीच की यह 'खींचतान' भूकंप का प्रमुख कारण है। जब ये प्लेट्स एक-दूसरे से टकराती या खिसकती हैं, तो ऊर्जा निकलती है, जो दिल्ली-एनसीआर तक पहुंचकर जमीन को हिलाती है।
दिल्ली का 'जोन-4' वाला ड्रामा
दिल्ली-एनसीआर को भूकंप के खतरे के हिसाब से जोन-4 में रखा गया है। इसका मतलब है कि यहां मध्यम से तीव्र भूकंप का खतरा बना रहता है। लेकिन ये जोन-4 क्या है? दरअसल, भारत को भूकंप के जोखिम के आधार पर 4 जोन में बांटा गया है, जिसमें जोन-5 सबसे खतरनाक है। दिल्ली जोन-4 में होने की वजह से हल्के-फुल्के झटके बार-बार महसूस होते हैं।
फॉल्ट लाइन्स: जमीन के नीचे की 'नसें'
दिल्ली-एनसीआर के आसपास कई फॉल्ट लाइन्स (भ्रंश रेखाएं) मौजूद हैं, जैसे दिल्ली-हरिद्वार रिज और मथुरा फॉल्ट। ये फॉल्ट लाइन्स पृथ्वी की सतह के नीचे की ऐसी दरारें हैं, जहां टेक्टॉनिक प्लेट्स की हलचल से तनाव जमा होता है। जब यह तनाव रिलीज होता है, तो भूचाल आता है। ये फॉल्ट लाइन्स दिल्ली को भूकंप का 'हॉटस्पॉट' बनाती हैं, जिससे छोटे-मोटे झटके बार-बार आते रहते हैं।
लेबल: दिल्ली / एनसीआर
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