दिल्ली विधानसभाका मॉनसून सत्र मंगलवार से शुरु हो चुका है। आज और कल एक विषय पर सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच खूब बयानबाजी हो रही है और वह है ...
दिल्ली विधानसभाका मॉनसून सत्र मंगलवार से शुरु हो चुका है। आज और कल एक विषय पर सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच खूब बयानबाजी हो रही है और वह है फांसी घर बनाम टिफिन रूम। आज इस विषय पर भारतीय जनता पार्टी के विधायक ने अरविंद केजरीवाल को लेकर कुछ ऐसा कह दिया कि सदन में बवाल मच गया। आम आदमी पार्टी ने बीजेपी विधायक के केजरीवाल के लिए कहे गए शब्दों को सदन से हटाने की मांग कर दी।
दिल्ली विधानसभा में फांसी घर को लेकर चर्चा चल रही है। चर्चा के दौरान महरौली से BJP विधायक गजेंद्र यादव ने अरविंद केजरीवाल पर गंभीर आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि इतिहास तोड़ने में मुगलों की मानसिकता केजरीवाल में दिखती है। औरंगजेब बाबर और कुतुबुद्दीन ऐबक ने जैसे इतिहास को तोड़ा, उसी कड़ी में केजरीवाल का नाम भी दिल्ली की जानता याद रखेगी कि इन्होंने भी एक भवन में गलत तरीके से फांसी घर का उद्घाटन कर दिया। उन्होंने हमला जारी रखते हुए कहा कि मुझे इंटरनेट से जानकारी मिली कि केजरीवाल ने खालिस्तानी आतंकी पन्नू से 134 करोड़ रुपया 2014-22 के बीच लिया। इनका एक बड़ा षड्यंत्र था कि शीशमहल को भी ऐसे दिखा देते कि उन्होंने बनाया नहीं था, शीशमहल आसमान से टपका था।
भाजपा विधायक के इतना बोलते ही सदन में हंगामा मच गया। विपक्ष के लोगों ने विरोध में नारेबाजी की। 5 मिनट तक सदन की कार्यवाही प्रभावित रही। आप विधायकों ने अरविंद केजरीवाल को लेकर दिए बयान को सदन की कार्यवाही से निकालने की मांग कर दी। आप विधायक वीरेंद्र कादियान ने स्पीकर विजेंद्र गुप्ता से कहा कि आप ने मुझसे पूर्व जिस सदस्य को बोलने का अवसर दिया था,उनको इस तरह के बयान नहीं देना चाहिए।
फांसीघर बनाम टिफिन रूम विवाद के बीच, दिल्ली विधानसभा अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता ने बुधवार को दिल्ली विधानसभा में मीडियाकर्मियों के लिए फांसीघर का एक निर्देशित दौरा आयोजित किया। गुप्ता ने कहा कि फांसीघर वास्तव में एक टिफिन रूम था, और यह एक गलत धारणा है कि इसका इस्तेमाल ब्रिटिश शासन के दौरान स्वतंत्रता सेनानियों को फांसी देने के लिए किया जाता था।
अध्यक्ष ने मीडियाकर्मियों को बताया कि ऐतिहासिक दिल्ली विधानसभा भवन का निर्माण 1911 में किंग जॉर्ज पंचम के राज्याभिषेक के बाद आठ महीने में किया गया था। उन्होंने कहा कि वास्तव में, दो टिफिन रूम, जिनमें पुली से चलने वाली लिफ्ट लगी हुई थीं, इस इमारत का हिस्सा थे। यह इमारत पहले ब्रिटिश शासन के दौरान इंपीरियल लेजिस्लेटिव काउंसिल के रूप में काम करती थी। उन्होंने बताया कि इमारत का नक्शा, जिसमें टिफिन रूम सहित हर कमरे का विवरण दिया गया था, राष्ट्रीय अभिलेखागार में रखा हुआ है।
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