सीबीआई ने एक साइबर अपराध सिंडिकेट का भंडाफोड़ किया है। इस गिरोह ने 2023 से अमेरिकी नागरिकों से 350 करोड़ रुपए से अधिक की ठगी की है। अधिकार...
सीबीआई ने एक साइबर अपराध सिंडिकेट का भंडाफोड़ किया है। इस गिरोह ने 2023 से अमेरिकी नागरिकों से 350 करोड़ रुपए से अधिक की ठगी की है। अधिकारियों ने सोमवार को बताया कि तीन कथित धोखेबाजों को गिरफ्तार किया गया है, जिन्होंने टेक्निकल असिस्टेंट के रूप में खुद को पेश करके अनजान पीड़ितों को ठगा।
अमेरिका के संघीय जांच ब्यूरो के साथ मिलकर दिए गए इस ऑपरेशन में गिरोह के तीन प्रमुख गुर्गों- जिगर अहमद, यश खुराना और इंदर जीत सिंह बाली को गिरफ्तार किया गया। उनके घर से अपराध से संबंधित डिजिटल सबूत के साथ 54 लाख रुपए, 8 मोबाइल और लैपटॉप बरामद किए गए।
अधिकारी ने बताया कि 18 अगस्त को केस दर्ज करने के बाद सीबीआई ने 20 अगस्त से अमृतसर और दिल्ली में तलाशी अभियान शुरू किया। इससे पंजाब से लेकर वाशिंगटन डीसी तक फैले धोखाधड़ी और डिजिटल हेरफेर के एक कथित जाल का पर्दाफाश हुआ, जिसमें अमेरिकी नागरिकों को निशाना बनाया जा रहा था।
सीबीआई प्रवक्ता ने एक बयान में कहा कि 2023-2025 के दौरान, आरोपियों ने पीड़ितों के कंप्यूटर सिस्टम और बैंक खातों तक अनधिकृत रिमोट एक्सेस प्राप्त करके अमेरिकी नागरिकों को निशाना बनाने की साजिश रची।
रिमोट एक्सेस सॉफ़्टवेयर का इस्तेमाल करके धोखेबाजों ने अमेरिकी नागरिकों के कंप्यूटर सिस्टम और बैंक खातों में घुसपैठ की और उन्हें यह विश्वास दिलाया कि उनकी रकम खतरे में है। आरोपियों ने पीड़ितों को अपने नियंत्रण वाले क्रिप्टोकरेंसी वॉलेट में 4 करोड़ अमेरिकी डॉलर (350 करोड़ रुपए) ट्रांसफर करने के लिए मजबूर कर दिया।
बयान में आगे कहा गया है कि कार्रवाई के दौरान सीबीआई ने एक अवैध कॉल सेंटर में चल रही आपराधिक गतिविधियों में लिप्त 34 लोगों को रंगे हाथों पकड़ा। जांच एजेंसी ने अमृतसर के खालसा महिला कॉलेज के सामने स्थित ग्लोबल टावर में 'डिजिकैप्स द फ्यूचर ऑफ डिजिटल' नाम से आरोपियों द्वारा संचालित कॉल सेंटर को सीज कर दिया।
प्रवक्ता ने बताया कि कॉल सेंटर पर छापेमारी में 85 हार्ड ड्राइव, 16 लैपटॉप और 44 मोबाइल फोन में डिजिटल साक्ष्य और अवैध संपत्तियां मिलीं। इनमें आपत्तिजनक डेटा भरा हुआ था। इससे वैश्विक धोखाधड़ी के जड़ तक पहुंचने वाले डिजिटल सुराग उजागर हुए।
अधिकारी ने कहा कि ऑपरेशन चक्र-4 के तहत सीबीआई का अंतर्राष्ट्रीय संचालन प्रभाग इंटरपोल और विदेशी कानून प्रवर्तन एजेंसियों के साथ मिलकर इस नेटवर्क की पहचान कर उस पर कार्रवाई कर रहा है।
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