भगवान हनुमान जी के मंदिर देशभर में हैं, लेकिन झांसी में बजरंगबली एक ऐसा रहस्यमयी मंदिर है, जो पूरे भारत में एकमात्र है. यहां पवनपुत्र हनुमा...
भगवान हनुमान जी के मंदिर देशभर में हैं, लेकिन झांसी में बजरंगबली एक ऐसा रहस्यमयी मंदिर है, जो पूरे भारत में एकमात्र है. यहां पवनपुत्र हनुमान वीर या बलशाली रूप में नहीं, बल्कि स्त्री के भेष में सखी रूप में विराजमान हैं. यह अद्भुत मंदिर न सिर्फ भक्तों की आस्था का केंद्र है, बल्कि आध्यात्मिक रहस्यों का भी एक जीवंत प्रमाण है.
मंदिर की यह है पौराणिक मान्यता
मान्यताओं के अनुसार, लगभग 500 वर्ष पूर्व ओरछा में सखी बाबा नामक संत को एक दिव्य स्वप्न आया. स्वप्न में उन्हें हनुमान जी स्त्री रूप में दिखाई दिए और यह आदेश दिया कि इस दिव्य प्रतिमा को एक विशेष स्थान पर स्थापित किया जाए. बाबा ने आदेश का पालन करते हुए झांसी के पास इस स्थल को चुना और उनकी प्रतिमा को स्थापित कर दिया.
इसके बाद से ही यहां हनुमान जी के स्त्री स्वरूप के दर्शन करने के लिए भक्तों का तांता लगना शुरू हो गया. इस अलौकिक मंदिर में जो प्रतिमा स्थापित है, वह हनुमान जी के सखी रूप की है. आनंद रामायण में एक चौपाई भी इस रहस्य की पुष्टि करती है. वो चौपाई है ‘चारुशिला नामक सखी सदा रहत सिय संग, इत दासी उत दास हैं, त्रिया तन्य बजरंग.’
हनुमान जयंती पर लगता है मेला
इस चौपाई में बताया गया है कि माता सीता की सेवा के लिए हनुमान जी ने स्त्री रूप धारण किया था और चारुशिला नामक सखी बनकर उनके साथ रहीं. इस रूप की पूजा देश में सिर्फ यहीं यानी झांसी स्थित सखी के हनुमान मंदिर में होती है. हनुमान जयंती पर यहां मेला लगता है. हर साल हनुमान जयंती पर इस मंदिर में दो दिवसीय महोत्सव आयोजित किया जाता है.
श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र
दिन-रात इस मंदिर में भजन-कीर्तन होता है. हनुमान जी का विशेष श्रृंगार होता है. भक्तों के लिए भव्य भंडारा चलता है. पूरा मंदिर परिसर भक्ति और आस्था से गूंज उठता है. यह आयोजन इतना विशाल होता है कि आसपास के कई गांव और शहरों के श्रद्धालु भी मंदिर में अपनी उपस्थिति दर्ज कराते हैं. भक्तों का मानना है कि जो भी यहां सच्चे मन से आता है, उसकी हर मनोकामना पूरी होती है.
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