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बच्चे को पानी के साथ फेंकने जैसा; अब इस नामी लेखक ने SC के कुत्तों वाले आदेश पर उठाए सवाल

  आवारा कुत्तों को दिल्ली की गलियों से हटाकर शेल्टर होम में कैद करने वाले सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर दो धड़े हो गए हैं। एक शीर्ष अदालत के फैसल...

 


आवारा कुत्तों को दिल्ली की गलियों से हटाकर शेल्टर होम में कैद करने वाले सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर दो धड़े हो गए हैं। एक शीर्ष अदालत के फैसले को जरूरी बताते हुए समर्थन कर रहा है तो वहीं दूसरा इसके खिलाफ है। कोर्ट के आदेश पर अब मशहूर लेखक और उद्यमी सुहेल सेठ ने भी आपत्ति जताई है। उन्होंने कोर्ट के फैसले पर निराशा जताते हुए कहा कि आपका आदेश बच्चे को नहाने के पानी के साथ फेंकने जैसा है। उन्होंने आवारा कुत्तों को लेकर सुझाए गए तरीकों पर भी चिंता जताई।

लेखक सुहेल सेठ ने कहा कि मैं सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से निराश हूं। मैं उन तरीकों को लेकर बहुत चिंतित हूं,जो उन्होंने इसे लागू करने के लिए सुझाए हैं। हम देख चुके हैं कि हमारे ज्यादातर शहरों और राज्यों की राजधानियों में प्रशासन कितना कमजोर है। यह 'बच्चे को नहाने के पानी के साथ फेंक देने'जैसा है। सुहेल सेठ ने आगे कहा कि आवारा कुत्तों को शेल्टर में रखना क्रूर और दयनीय है,उन्हें नसबंदी करानी चाहिए,गोद लेना चाहिए या सामुदायिक शेल्टर में उनकी देखभाल करनी चाहिए।

सुहेल सेठ से पहले बॉलीवुड के नामचीन स्टार्स ने भी इस फैसले पर आपत्ति जताई है। एक्टर जॉन अब्राहम ने तो एक भावुक लेटर लिखते हुए कहा कि कुत्ते भी तो दिल्लीवाले हैं। एक्ट्रेस जाह्नवी कपूर ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि दिल्ली-एनसीआर की सड़कों से हर आवारा कुत्ते को उठाकर बंद कर दो। न धूप,न आजादी,न ही वो जाने-पहचाने चेहरे जिन्हें वे हर सुबह मिला करते हैं। लोग इन्हें खतरा बताते हैं,लेकिन हम इन्हें धड़कन कहते हैं। ये सिर्फ आवारा कुत्ते नहीं हैं। ये वो हैं जो आपकी चाय की दुकान के बाहर बिस्किट का इंतजार करते हैं। ये दुकानदारों के लिए रात के खामोश चौकीदार हैं। ये वो पूंछ हैं जो बच्चों के स्कूल से लौटने पर खुशी से हिलती हैं। ये एक ठंडे और बेरहम शहर में गर्माहट हैं।




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