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NSD में आजादी के बाद पहली बार विभाजन विभीषिका तमस का होगा मंचन

  भारत के विभाजन को लेकर कई सारी किताबें लिखी गई हैं, इसको समय-समय पर फिल्म स्क्रीन के जरिए दर्शकों तक पहुंचाया भी गया. केंद्रीय संस्कृति मं...

 


भारत के विभाजन को लेकर कई सारी किताबें लिखी गई हैं, इसको समय-समय पर फिल्म स्क्रीन के जरिए दर्शकों तक पहुंचाया भी गया. केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय की ओर से आजादी के बाद पहली बार विभाजन की विभीषिका पर राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय द्वारा नाटक के रूप में इसका मंचन किया जा रहा है. राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय नई दिल्ली के निदेशक चित्तरंजन त्रिपाठी ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस साल विभाजन विभीषिका दिवस के तौर पर 14 अगस्त को मनाने का फैसला किया है. इसी के मद्देनजर हमने इस नाटक का मंचन किया है.


चितरंज त्रिपाठी ने बताया कि नई नाट्य प्रस्तुति ‘विभाजन विभीषिका तमस’ जो कि भीष्म साहनी द्वारा लिखित साहित्य अकादमी सम्मान से सम्मानित उपन्यास पर आधारित है. जिसमें अखण्ड राष्ट्र भारत के विभाजन की त्रासदियों को चित्रित किया गया है, जहां अनगिनत मासूम जिंदगियां आपसी दंगे में खो गई थी.

 

दो साल पहले भी हुई थी कोशिश


राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय (एनएसडी) द्वारा भीष्म साहनी के उपन्यास ‘तमस’ पर आधारित नाटक का मंचन दो साल पहले 14 से 20 अगस्त तक अभिमंच ऑडिटोरियम में प्रदर्शित होने वाला था, लेकिन इसे अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया. स्थगित होने के कारणों के बारे में एनएसडी की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया, लेकिन कुछ लोगों का मानना है कि सोशल मीडिया पर नाटक के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों के कारण ऐसा किया गया है.


वैसे दावा यह भी किया गया कि नाटक का मंचन रद्द करने के पीछे अन्य दक्षिणपंथी संगठनों की भूमिका थी. विरोध करने वालों का तर्क है कि यह था कि यह एक वामपंथी लेखक द्वारा लिखा गया उपन्यास है और इस उपन्यास में सांप्रदायिक हिंसा के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को परोक्ष रूप से जिम्मेदार ठहराया गया है. चितरंज त्रिपाठी ने कहा कि उस वक्त ऐसा क्यों किया गया यह पता नहीं लेकिन अब इसका मंचन किया जा रहा है.


क्यों देखें यह नाटक?


चितरंजन त्रिपाठी ने कहा कि देश को विभाजन विभीषिका पर एक घाव का स्मरण है, जिसने एक देश को दो भागों में विभाजित कर दिया. यह नाट्य प्रस्तुति अंतहीन दर्द का चित्रण है. यह भारत के सामाजिक-राजनीतिक इतिहास के सबसे अंधेरे हिस्से की अभिव्यक्ति है. सन् 1947 का विभाजन केवल सीमाओं का एक पुनर्वितरण नहीं था. यह भारत देश की आत्मा का अलगाव थ. यह सिर्फ देश की स्वतंत्रता प्राप्त नहीं थी, बल्कि स्वतंत्रता दर्द में भिगोई गई थी. स्वतंत्रता दिवस के उत्सव के पीछे एक विशाल मानवीय त्रासदी करोड़ों विस्थापित लोग, लाखों की हत्या, अनगिनत महिलाओं का चीर-हरण किया गया और लाखों लोगों को अपनी पैतृक भूमि से मिटा दिया गया.


क्योंकि इतिहास जानना जरूरी है?


चितरंजन त्रिपाठी ने कहा कि दशकों तक इन भयावहता को छुपाया गया, सेंसर किया गया, या ‘धर्मनिरपेक्ष सद्भाव’ की बयानबाजी के नीचे दफन किया गया. स्कूली पुस्तकों में विभाजन एक पैराग्राफ बन गया. पर यह आज भी लाखों परिवारों के लिए पीड़ा बना हुआ है.


भीष्म साहनी का मूल उपन्यास ‘तमस’ उस अंधेरे में भी घूरता है. यह सहज नायकों और खलनायकों की कहानी मात्र नहीं है यह एक सभ्यता के पतन की शारीरिक रचना है जो तुष्टिकरण की राजनीति द्वारा विभाजित और शासन की ब्रिटिश नीति द्वारा सृजित है. यह बताता है कि कैसे प्रचार, झूठ और राजनीतिक महत्वाकांक्षा दोस्त को दुश्मन, पड़ोसी को हत्यारे में बदल सकती है.


विभाजन विभीषिका तमस: दर्द, चेतावनी और एकता का मंचन


‘विभाजन विभीषिका तमस’ सिर्फ एक नाटक नहीं है. यह विभाजन के अनगिनत पीड़ितों के लिए समर्पित है, विशेष रूप से उन लोगों को जिनकी पीड़ा भावनाओं को नुकसान नहीं पहुंचाने के नाम पर मिटा दी गई थी. यह एक चेतावनी भी है. वही हथियार जो एक बार हमें अलग करता है. धार्मिक भ्रम, सांस्कृतिक व्युत्पत्ति, और राजनीतिक तुष्टिकरण. अभी भी आज भी हमारे बीच किसी न किसी रूप में विद्यमान है. यह नाटक उपन्यास के 90 प्रतिशत पाठ का उपयोग संवाद के रूप में करता है. जैसे-जैसे भारत वैश्विक नेतृत्व की ओर बढ़ता है हमें याद रखना चाहिए यह शक्ति, सत्य और एकता पर बनाई गई है.


14 से 17 अगस्त तक रोजाना विशेष प्रस्तुतियां


नाटक में संत कबीर दास के दोहे, पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी, शस्वानंद किरकिरे और फैज अहमद फैज के गीतों को भी शामिल किया गया है जो नाटक के संदेश को आगे बढ़ाते हैं. नाटक का मंचन अभिमंच सभागार परिसर में 14 अगस्त, 2025 को शाम 7:00 बजे और 15 से 17 अगस्त, 2025 तक रोजाना दो प्रस्तुतियां दोपहर 3:30 बजे और शाम 7:00 बजे किया जाएगा.




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