गौतमबुद्धनगर डिस्ट्रिक्ट कोर्ट ने एक नाबालिग लड़की से कथित दुष्कर्म के मामले में जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड द्वारा 13 साल पहले दोषी ठहराए गए 39 ...
गौतमबुद्धनगर डिस्ट्रिक्ट कोर्ट ने एक नाबालिग लड़की से कथित दुष्कर्म के मामले में जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड द्वारा 13 साल पहले दोषी ठहराए गए 39 वर्षीय युवक को बरी कर दिया है। युवक पर जब आरोप लगा था तब उसकी उम्र 16 साल थी। 23 साल तक चली लंबी कानूनी लड़ाई के बाद अब उसे संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया गया है।
पीड़ित लड़की के पिता ने 2 जुलाई 2002 को दादरी थाने में एक किशोर पर अपनी नाबालिग बेटी से कथित दुष्कर्म करने का मुकदमा दर्ज करवाया था। मेडिकल में पीड़िता पांच महीने की गर्भवती पाई गई थी। शुरुआत में यह मामला नियमित कोर्ट में चला, लेकिन 2012 में इसे जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड (जेजेबी) में भेज दिया गया। जेजेबी ने साल 2021 में आरोपी को दुष्कर्म का दोषी ठहराकर तीन साल की सजा सुनाई।
आरोपी ने सजा के खिलाफ विशेष पॉक्सो कोर्ट में अपील की थी। जिला न्यायालय ने गवाहों के बयान और दस्तावेजों की गहन जांच में पाया कि एफआईआर दर्ज करने में लंबी देरी हुई, जिसके लिए कोई ठोस कारण नहीं मिला। पीड़िता का बयान भी धारा 164 के तहत दर्ज नहीं हुआ था। डीएनए टेस्ट भी नहीं कराया गया। गर्भपात या भ्रूण संबंधी कोई रिकॉर्ड भी नहीं मिला।
मेडिकल रिपोर्ट भी घटना की तारीख से मेल नहीं खाई। इसके साथ ही पीड़िता ने खुद कोर्ट में यह स्वीकार किया कि दोनों परिवारों में पुरानी रंजिश थी। कोर्ट ने कहा कि ऐसे हालात में आरोपी को संदेह का लाभ मिलना चाहिए। कोर्ट ने आरोपी को मुक्त कर दिया।
लापता किशोरी चार दिन बाद लौटी
वहीं एक अन्य मामले में नोएडा सेक्टर-113 थाना क्षेत्र से 4 अगस्त 2025 को संदिग्ध परिस्थितियों में लापता हुई किशोरी 8 अगस्त को वापस लौट आई। किशोरी की मां ने पड़ोसी युवक पर बहला-फुसलाकर अपने साथ ले जाने का आरोप लगाते हुए मुकदमा दर्ज कराया है। सेक्टर-122 में रहने वाली महिला ने पुलिस को बताया कि उनकी 13 वर्षीय बेटी 3 अगस्त को संदिग्ध परिस्थितियों में लापता हो गई थी। आरोप था कि श्याम नामक युवक बहला-फुसलाकर अपने साथ ले गया था।
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