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दिल्ली सरकार का बिल पैरेंट्स नहीं प्राइवेट स्कूलों के हक में है : आतिशी मार्लेना

  दिल्ली सरकार की ओर से स्कूल फीस बढ़ोतरी को लेकर पेश विधेयक पर विपक्ष सवाल खड़े कर रहा है। विपक्षी दल आप का आरोप है कि यह विधेयक अभिभावकों ...

 


दिल्ली सरकार की ओर से स्कूल फीस बढ़ोतरी को लेकर पेश विधेयक पर विपक्ष सवाल खड़े कर रहा है। विपक्षी दल आप का आरोप है कि यह विधेयक अभिभावकों को राहत के लिए नहीं, बल्कि निजी स्कूलों के हक में है। विधानसभा से पास स्कूल फीस विधेयक को लेकर नेता प्रतिपक्ष आतिशी से हिन्दुस्तान संवाददाता बृजेश सिंह ने चर्चा की। पेश है बातचीत के प्रमुख अंश...

● स्कूल फीस विधेयक पर आप को आपत्ति क्यों है?


किसी भी स्कूल की फीस सही है या गलत, इसकी जांच का एक तरीका है कि उसका ऑडिट कराइये, लेकिन इस बिल में कहीं भी ऑडिट का प्रावधान नहीं है। स्कूल स्तर की जो कमेटी फैसला करेगी, वह स्कूल प्रबंधन की अध्यक्षता में होगी। उसमें पांच अभिभावक होंगे, जिनका चयन पर्ची से होगा। पर्ची का खेल सबको पता है। अभिभावक को दो साल में कमेटी से हटा दिया जाएगा। अभिभावक को फीस बढ़ोतरी के फैसले की शिकायत के लिए पहले स्कूल के 15 फीसदी अभिभावक जुटाने पड़ेंगे। कोर्ट जाने का अधिकार भी इस विधेयक ने छीन लिया है। इसलिए हम कह रहे हैं कि यह विधेयक अभिभावकों नहीं निजी स्कूलों के हक में है।

 

● बतौर नेता विपक्ष आप इसमें क्या बदलाव चाहती हैं?


हमारी मांग थी कि इस विधेयक को सेलेक्ट कमेटी के पास जाए। जब तक यह विधेयक सेलेक्ट कमेटी के पास रहता, तब तक पिछले साल जो स्कूलों की फीस थी उसे ही मौजूदा शिक्षण सत्र की फीस माना जाता। हमने पांच सुधार की मांग की थी जिसमें हर साल ऑडिट होना चाहिए, स्कूल के सभी अभिभावक को ऑडिट रिपोर्ट जानी चाहिए। अभिभावक को 15 दिन का समय मिलना चाहिए। स्कूल कमेटी में पांच के बजाए 10 अभिभावक होने चाहिए, उनका चयन पर्ची के बजाय चुनाव से होना चाहिए। उनके लिए दो साल वाली समय सीमा नहीं होनी चाहिए। लेकिन हमारे सुझावों को सरकार ने नहीं माना।

 

● जो सुझाव आप की तरफ से अब आ रहे हैं , इन पर पहले काम क्यों नहीं हुआ?


हम सरकार में थे तो वर्ष 2015 में एक विधेयक लेकर आए थे। उसे हमने केंद्र को भेजा भी था, लेकिन केंद्र ने हमारा विधेयक पास नहीं किया। मान लीजिए कि हम बहुत खराब हैं, जैसा कि शिक्षा मंत्री बोलते रहते हैं। क्या, वह इस विधेयक को जस्टिफाई करता है। यह कोई जवाब है कि केजरीवाल या आतिशी ने क्या किया। आप विधेयक लेकर आए हैं तो आप जवाब दोगे।


● विधेयक कह रहा है कि तीन साल के लिए एक बार फीस बढ़ेगी, आप इससे कितना सहमत हैं?


फीस तीन साल में एक बार बढ़ाइए या हर साल बढ़ाइए। फीस तय होनी चाहिए स्कूल के ऑडिट के आधार पर, लेकिन इस विधेयक में उसका प्रावधान ही नहीं है। सरकार ऑडिट के सवाल पर घुमा-फिराकर जवाब दे रही है।




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