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सिपाही को विभाग के खिलाफ 20 साल चली कानूनी जंग में मिली जीत, मुआवजा भी लिया

 ड्यूटी के दौरान लापरवाही बरतने का झूठा आरोप लगने से आहत एक सिपाही ने इसके खिलाफ 20 साल कानूनी लड़ाई लड़कर सरकार से मुआवजा लिया। कानूनी लड़ा...



 ड्यूटी के दौरान लापरवाही बरतने का झूठा आरोप लगने से आहत एक सिपाही ने इसके खिलाफ 20 साल कानूनी लड़ाई लड़कर सरकार से मुआवजा लिया। कानूनी लड़ाई में निचली अदालत से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक ने माना कि उसके साथ गलत हुआ और वह मुआवजे का हकदार है। वर्ष 2007 में निचली अदालत द्वारा 66 हजार रुपये का मुआवजा देने के आदेश को सुप्रीम कोर्ट ने लागू करने के निर्देश दिए हैं।


जानकारी के अनुसार. सुनील कुमार 1997 में सचिवालय सुरक्षा बल में सिपाही के पद पर भर्ती हुए थे। वर्ष 2004 में विज्ञान भवन में तैनात थे। अप्रैल 2004 में उन्हें विभाग की तरफ से कारण बताओ नोटिस जारी किया गया। इसमें कहा गया कि 8-9 अप्रैल 2004 की रात वह ड्यूटी के दौरान कमरा बंद कर सो रहे थे। उन्होंने जवाब दिया कि वह उस दिन छुट्टी पर थे। उनके जवाब पर दिसंबर 2004 में विभागीय कार्यवाही को खत्म कर दिया गया। इस अवधि के दौरान हुई मानसिक और शारीरिक परेशानियों को लेकर उन्होंने 2005 में विभाग के खिलाफ अदालत का दरवाजा खटखटाया।


सुनील के वकील अनिल सिंघल ने अदालत को बताया कि आरोपों के चलते सुनील काफी तनाव में थे। 3 मई 2004 को वह गिर गए, उनके दांत हिल गए। दांतों में संक्रमण होने के चलते ऑपरेशन हुआ। वह बीए प्रथम वर्ष की परीक्षा नहीं दे सके।


विदेश मंत्रालय में सुरक्षा गार्ड की भर्ती का इंटरव्यू भी वह पास नहीं कर सके क्योंकि अगस्त 2004 तक उनके खिलाफ चल रही विभागीय कार्यवाही समाप्त नहीं हुई थी। दोनों पक्षों को सुनने के बाद वर्ष 2007 में अदालत ने 50 हजार का मुआवजा और उस पर 12 फीसदी ब्याज देने का आदेश दिया था।


2024 में हाईकोर्ट ने दिया हक में फैसला


निचली अदालत के इस आदेश के खिलाफ सरकार हाईकोर्ट पहुंची। सरकार ने हाईकोर्ट को बताया कि विभागीय कार्यवाही के दौरान हुई घटनाओं के लिए विभाग को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता। अक्टूबर 2024 में हाईकोर्ट ने सुनवाई के बाद माना कि सुनील को हुई परेशानी के लिए मुआवजा मिलना चाहिए।




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