मुगलों ने भारत में करीब 300 साल राज किया। इस दौरान कई मुगल बादशाहों ने सत्ता संभाली। 367 साल पहले आज के दिन औरंगजेब ने खुद को मुगल बादशाह ...
मुगलों ने भारत में करीब 300 साल राज किया। इस दौरान कई मुगल बादशाहों ने सत्ता संभाली। 367 साल पहले आज के दिन औरंगजेब ने खुद को मुगल बादशाह घोषित किया। 31 जुलाई 1658 का दिन मुगल इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में नहीं, बल्कि स्याही के गहरे दाग के साथ दर्ज हुआ। इस दिन, औरंगजेब ने स्वयं को मुगल सम्राट घोषित कर लिया। लेकिन यह ताज की कहानी कोई साधारण उत्तराधिकार नहीं थी, यह थी सत्ता की भूख, भाई-भाई की दुश्मनी और एक बाप के साथ बगावत की दास्तान।
शाहजहां की बीमारी के बाद सत्ता का पहला झटका
1657 में मुगल बादशाह शाहजहां की तबीयत अचानक बिगड़ गई। खबर फैली कि शाहजहां अब दुनिया छोड़ने वाला है। इस खबर ने उनके चार बेटों दारा शिकोह, शाह शुजा, औरंगजेब, और मुराद बख्श के बीच सत्ता की दौड़ शुरू कर दी। शाहजहां ने अपने बड़े बेटे दारा शिकोह को अपना उत्तराधिकारी घोषित किया था, लेकिन औरंगजेब के लिए यह मंजूर नहीं था।
औरंगजेब की चाल
औरंगजेब, जो दक्षिण में दक्कन का सूबेदार था ने मौके का फायदा उठाया। उसने सबसे पहले अपने छोटे भाई मुराद बख्श को अपने साथ मिलाया, यह वादा करके कि सत्ता मिलने पर साम्राज्य बांट लिया जाएगा। दोनों ने मिलकर शाह शुजा को बंगाल में हराया। लेकिन औरंगजेब की नजर तो सिर्फ तख्त पर थी। उसने चालाकी से मुराद को नशे में धुत कर कैद कर लिया और इस तरह एक प्रतिद्वंद्वी को रास्ते से हटा दिया।
दारा शिकोह का पतन
दारा शिकोह, जो शाहजहां का चहेता और उदारवादी विचारों वाला राजकुमार था, औरंगजेब के लिए सबसे बड़ा खतरा था। 1658 में, समरकंद के पास दोनों भाइयों की सेनाओं का आमना-सामना हुआ। औरंगजेब की रणनीति और सैन्य कुशलता के आगे दारा की सेना टिक नहीं सकी। हार के बाद दारा भागा, लेकिन औरंगजेब ने उसका पीछा नहीं छोड़ा। आखिरकार, दारा को पकड़कर आगरा लाया गया और 1659 में उसका सिर कलम कर दिया गया।
बाप को ही बनाया कैदी
शाहजहां, जो अब तक ठीक हो चुके थे, अपने बेटों की इस खूनी लड़ाई से दुखी थे। लेकिन औरंगजेब ने अपने पिता को भी नहीं बख्शा। उसने शाहजहां को आगरा के किले में नजरबंद कर दिया, जहां वह अपनी आखिरी सांस तक ताजमहल को निहारते रहे। औरंगजेब ने यह सुनिश्चित किया कि शाहजहाँ की कोई सियासी ताकत न बचे।
आज के दिन औरंगजेब बना मुगल बादशाह
सभी प्रतिद्वंद्वियों को रास्ते से हटाने के बाद, औरंगजेब ने भव्य दरबार सजाया और खुद को ‘आलमगीर’ (विश्व विजेता) की उपाधि के साथ मुगल सम्राट घोषित किया। उसने दावा किया कि वह इस्लाम और साम्राज्य की रक्षा के लिए तख्त पर बैठा है। लेकिन उसकी क्रूरता और सत्ता हथियाने की कहानी ने उसे इतिहास में एक विवादास्पद शासक बना दिया।
औरंगजेब का शासन 49 साल तक चला, लेकिन उसकी शुरुआत ही खून और धोखे से हुई थी। उसने न केवल अपने भाइयों और पिता को रास्ते से हटाया, बल्कि अपने कट्टर धार्मिक रवैये से साम्राज्य में तनाव भी पैदा किया। हिंदू मंदिरों को तोड़ने, जजिया कर लागू करने जैसे फैसलों ने उसे ‘क्रूर शासक’ की छवि दी।
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