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मस्जिद में लोगों को शरण देना धारा 144 का उल्लंघन नहीं.. तबलीगी जमात मामले में बोला हाई कोर्ट

  दिल्ली हाई कोर्ट ने 2020 के कोविड-19 लॉकडाउन के दौरान तबलीगी जमात के विदेशी मेहमानों को आश्रय देने के आरोप में 70 भारतीयों के खिलाफ दर्ज 1...

 


दिल्ली हाई कोर्ट ने 2020 के कोविड-19 लॉकडाउन के दौरान तबलीगी जमात के विदेशी मेहमानों को आश्रय देने के आरोप में 70 भारतीयों के खिलाफ दर्ज 16 मामलों को रद्द कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि बिना धारा 144 के आदेशों की जानकारी के मस्जिद में लोगों को आश्रय देना सार्वजनिक अधिकारियों के आदेशों की अवहेलना नहीं माना जा सकता।

मामला क्या था?

2020 में कोविड-19 महामारी के दौरान दिल्ली पुलिस ने तबलीगी जमात के निजामुद्दीन मरकज में विदेशी नागरिकों को ठहराने के आरोप में 70 लोगों के खिलाफ धारा 144 के उल्लंघन का मामला दर्ज किया था। पुलिस का दावा था कि 24 मार्च 2020 को जारी की गई धारा 144 के आदेश का उल्लंघन हुआ।

'आश्रय देना अपराध नहीं'

जस्टिस नीना बंसल कृष्णा की बेंच ने शुक्रवार को विस्तृत फैसला सुनाया। कोर्ट ने कहा कि मरकज में रहना अपने आप में धारा 144 के तहत प्रतिबंधित किसी भी गतिविधि का उल्लंघन नहीं था। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि मरकज में रहने वाले लोग न तो किसी प्रदर्शन में शामिल थे, न ही सामाजिक, सांस्कृतिक, धार्मिक या राजनीतिक सभा में। न ही उन्होंने साप्ताहिक बाजार या समूह यात्राएं आयोजित की थीं। ऐसे में धारा 144 के आदेश की जानकारी इन लोगों तक पहुंची ही नहीं थी। जज ने कहा, 'यह साबित करने के लिए कोई सबूत नहीं है कि धारा 144 का आदेश इन लोगों को बताया गया था। बिना इस जानकारी के, इसे अपराध नहीं माना जा सकता।'

लॉकडाउन में फंसे 'बेकसूर लोग'

कोर्ट ने यह भी बताया कि तबलीगी जमात का यह आयोजन मार्च की शुरुआत में हुआ था, जब महामारी का प्रकोप शुरू नहीं हुआ था। लॉकडाउन लागू होने के बाद ये लोग मरकज में फंस गए थे। जज ने इन्हें 'बेकसूर और असहाय' लोग करार दिया, जो लॉकडाउन के कारण वहां से निकल नहीं सके। कोर्ट ने कहा, इन लोगों ने लॉकडाउन के बाद मरकज से बाहर कदम नहीं रखा। चार्जशीट में कोई सबूत नहीं है कि ये लोग कोविड-19 पॉजिटिव थे या उन्होंने वायरस फैलाने की कोशिश की।



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