कौन पात्र, कौन अपात्र? अशोक विहार में झुग्गियों पर एक्शन के मामले में डीडीए ने बताया


दिल्ली के अशोक विहार स्थित जेलरवाला बाग इलाके में झुग्गियों को तोड़े जाने के मुद्दे पर डीडीए (दिल्ली विकास प्राधिकरण) ने बड़ा बयान जारी किया है. प्राधिकरण ने साफ कहा है कि यह कार्रवाई इन-सीटू स्लम पुनर्वास परियोजना के तहत की जा रही है, जो कि DUSIB (दिल्ली शहरी आश्रय सुधार बोर्ड) की पुनर्वास नीति-2015 के अनुसार लागू की गई है.


डीडीए के अनुसार, उन परिवारों को वैकल्पिक आवास के लिए पात्र माना गया है, जिनका नाम वर्ष 2012, 2013, 2014 या 2015 की किसी एक मतदाता सूची में दर्ज है. जिनके पास नीति में निर्धारित 12 दस्तावेजों में से कोई एक है, जैसे कि पासपोर्ट, बिजली का बिल, ड्राइविंग लाइसेंस, या सार्वजनिक बैंक/डाकघर की पासबुक. इसके अलावा पात्रता की पुष्टि के लिए सर्वेक्षण वर्ष की मतदाता सूची में नाम होना भी अनिवार्य है.


कौन हैं अपात्र?


डीडीए ने यह भी स्पष्ट किया कि इन श्रेणियों के लोग पुनर्वास के पात्र नहीं हैं, जो झुग्गियों का उपयोग व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए करते हैं. ऊपरी मंजिल पर रहने वाले परिवार, जिनके पास 1 जनवरी 2015 से पहले का अलग राशन कार्ड नहीं है. जिनका नाम संबंधित वर्षों की मतदाता सूची में नहीं है. जिनके पास 2015 से पहले झुग्गी में निवास का वैध प्रमाण नहीं है.


अब तक कितनों को मिला नया ठिकाना?


डीडीए ने जानकारी दी है कि जेलरवाला बाग जेजे क्लस्टर के 1078 पात्र परिवारों को पहले ही स्वाभिमान अपार्टमेंट्स में मॉडर्न 1 बीएचके फ्लैट्स दिए जा चुके हैं. वहीं 567 अपात्र लोगों को सेवानिवृत्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश के अधीन गठित अपील प्राधिकरण के समक्ष अपील करने का अवसर दिया गया था. इनमें से 9 परिवारों की अपीलें स्वीकार की गई हैं, जिन्हें अब जल्द ही ड्रा ऑफ लॉट्स के ज़रिए फ्लैट आवंटित किए जाएंगे.


पुनर्वास परियोजना की लागत और सुविधाएं


यह परियोजना DDA की कुल 34,594.74 वर्ग मीटर भूमि पर विकसित की गई है. निर्माण लागत 421 करोड़ रुपये आंकी गई है (भूमि लागत को छोड़कर). प्रत्येक फ्लैट की लागत करीब 25 लाख रुपये है, जिन्हें लाभार्थियों को महज़ 1.41 लाख रुपये की भारी सब्सिडी पर उपलब्ध कराया गया है. सभी फ्लैट्स में आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध हैं, और पुनर्वासित परिवार इनमें संतोषपूर्वक रह रहे हैं.


कोर्ट से मिली राहत


डीडीए ने यह भी बताया कि दिल्ली हाई कोर्ट ने करीब 250 अपात्र झुग्गीवासियों की झुग्गियों को तोड़ने पर अंतरिम रोक लगाई है. हालांकि 16 जून 2025 को उन झुग्गियों को गिरा दिया गया, जिनके निवासियों को वैकल्पिक फ्लैट पहले ही आवंटित किए जा चुके थे और वे पुनर्वास की शर्तों पर खरे नहीं उतरते थे. वहीं जिन लोगों को हाई कोर्ट से स्टे ऑर्डर मिला हुआ है, उनकी झुग्गियों को फिलहाल नहीं तोड़ा गया है.




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