दशकों से वैचारिक और पारिवारिक दूरी निभा रहे दो गांधी परिवारों का सुर दिल्ली-एनसीआर के कुत्तों के लिए मिल गया है। राहुल गांधी, उनकी बहन प्र...
दशकों से वैचारिक और पारिवारिक दूरी निभा रहे दो गांधी परिवारों का सुर दिल्ली-एनसीआर के कुत्तों के लिए मिल गया है। राहुल गांधी, उनकी बहन प्रियंका गांधी, चेचेरे भाई वरुण गांधी और वरुण की मां मेनका गांधी ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर निराशा जाहिर की है। सभी ने दिल्ली-एनसीआर के उन कुत्तों के लिए हमदर्दी जाहिर की है जिन्हें सर्वोच्च अदालत ने 8 सप्ताह के भीतर शेल्टर हाउस में भेजने को कहा है। यह काफी दुर्लभ कि वर्षों पहले दो धारा में बंट गए परिवार की राय किसी मुद्दे पर एक हो।
लावारिस कुत्तों को लेकर सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर प्रतिक्रिया देते हुए लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने ‘एक्स पर पोस्ट कर इस निर्देश को दशकों से चली आ रही मानवीय और विज्ञान-आधारित नीति से एक कदम पीछे बताया। उन्होंने कहा कि इस तरह के फैसले क्रूर और अदूरदर्शी हैं और यह दयालुता को खत्म करते हैं। राहुल गांधी ने कहा कि समय की मांग है कि सड़कों को बिना किसी क्रूरता के सुरक्षित रखने के लिए आश्रय स्थल, नसबंदी, टीकाकरण और सामुदायिक देखभाल जैसी व्यवस्थाएं की जाएं। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने भी आवारा कुत्तों को ले जाने की प्रक्रिया के दौरान उनके साथ होने वाले अमानवीय व्यवहार पर चिंता जताई।
बेहतर और मानवीय तरीका खोजा जाए : प्रियंका गांधी वाड्रा
प्रियंका गांधी वाड्रा ने सोशल मीडिया पर पोस्ट किया कि निश्चित रूप से इस स्थिति से निपटने का एक बेहतर और मानवीय तरीका खोजा जा सकता है, जिससे इन मासूम जानवरों की देखभाल हो सके और उनकी सुरक्षा भी सुनिश्चित हो। उन्होंने कहा कि कुत्ते सबसे सुंदर और कोमल प्राणी हैं और वे इस तरह की क्रूरता के योग्य नहीं हैं।
क्या लावारिस गायों, वंचितों पर भी लागू होगा यह रवैया : वरुण गांधी
राहुल और प्रियंका गांधी के चचेरे भाई और पूर्व सांसद वरुण गांधी ने भी आवारा कुत्तों पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर समान भावनाएं व्यक्त कीं। भाजपा नेता वरुण गांधी ने सोशल मीडिया पर लिखा कि जब राष्ट्र सहानुभूति से दूर हो जाते हैं, तो उन्हें गहरे नैतिक संकट का सामना करना पड़ता है। वरुण गांधी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का लावारिस कुत्तों पर स्वत: संज्ञान में दिया गया आदेश क्रूरता का संस्थागत रूप है और यह एक ऐसे कानूनी ढांचे की शुरुआत करता है, जो उन लोगों को दंडित करना चाहता है जो अपनी रक्षा स्वयं नहीं कर सकते। उन्होंने सवाल किया कि क्या यही रवैया लावारिस गायों, वंचितों और अनधिकृत बस्तियों पर भी लागू होगा और यह कब तक जारी रहेगा।
अमल करने योग्य आदेश नहीं : मेनका गांधी
पूर्व केंद्रीय मंत्री और भाजपा सांसद मेनका गांधी ने कहा, यह अमल करने योग्य आदेश नहीं है। मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा कि यह किसी ऐसे व्यक्ति का अजीब फैसला है, जो गुस्से में है और गुस्से में दिए गए फैसले कभी समझदारी भरे नहीं होते। इसके साथ ही उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के आदेश को लागू करने की कठिनाइयों का भी उल्लेख किया। मेनका गांधी ने कहा कि दिल्ली में एक भी सरकारी आश्रय गृह नहीं है। ऐसे में सवाल है कि तीन लाख कुत्तों को आप कितने आश्रय गृहों में रखेंगे? इन आश्रय गृहों के निर्माण के लिए कम से कम 15 हजार करोड़ रुपये की आवश्यकता होगी।
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