एक रूसी महिला के अपने बच्चे के साथ अवैध तरीके से देश छोड़कर भागने के मामले में सुप्रीम कोर्ट शुक्रवार को दिल्ली पुलिस पर भड़क गया, और उस प...
एक रूसी महिला के अपने बच्चे के साथ अवैध तरीके से देश छोड़कर भागने के मामले में सुप्रीम कोर्ट शुक्रवार को दिल्ली पुलिस पर भड़क गया, और उस पर घोर लापरवाही बरतने का आरोप लगाया। दरअसल इस रूसी महिला की शादी एक भारतीय शख्स से हुई है, जिससे उसे एक बच्चा भी है। हालांकि कुछ साल बाद दोनों अलग हो गए, और बच्चे की कस्टडी को लेकर उनके बीच विवाद हो गया, फिलहाल जिसका केस भी चल रहा था। लेकिन इसी दौरान महिला अवैध रूप से नेपाल के रास्ते देश छोड़कर चली गई। इसी बात को लेकर सर्वोच्च न्यायालय ने पुलिस और विदेश मंत्रालय पर नाराजगी जताई, साथ ही अधिकारियों से नाबालिग को वापस लाने के लिए रूस की राजधानी मॉस्को स्थित भारतीय दूतावास से सम्पर्क करने के लिए कहा।
मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की पीठ ने कहा कि 22 मई को सुप्रीम कोर्ट द्वारा महिला पर कड़ी निगरानी रखने के स्पष्ट निर्देश के बावजूद, वह नाबालिग के साथ देश से भागने में कामयाब रही, जो घोर लापरवाही और असफलता के अलावा और कुछ नहीं है। पीठ ने चेतावनी दी कि वह इस लापरवाही के लिए स्थानीय स्टेशन हाउस ऑफिसर (SHO) और पुलिस उपायुक्त (DCP) को बख्शेगी नहीं और अगर जरूरत पड़ी तो वह पुलिस आयुक्त (CP) को भी तलब करेगी।
शीर्ष अदालत ने कहा, 'दिल्ली पुलिस के अधिकारियों ने सोचा होगा कि यह एक साधारण मामला है, जहां एक मां अपने बच्चे को लेकर भाग गई है। पुलिस और विदेश मंत्रालय दोनों ने इसे हल्के में लिया है।' शीर्ष अदालत ने कहा कि यह इतना भी साधारण वैवाहिक विवाद नहीं था।
अदालत ने आगे कहा, 'यह दिल्ली पुलिस की ओर से पूरी तरह से विफलता या घोर लापरवाही या मिलीभगत का मामला है। 22 मई को इस अदालत ने साफ तौर पर पुलिस को दोनों पक्षों के घरों पर सावधानीपूर्वक लेकिन प्रभावी निगरानी रखने का निर्देश दिया था।
पीठ ने दिल्ली पुलिस की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भट्टी से पूछा, 'हमने निर्देश दिया था कि निगरानी के लिए महिला पुलिस अधिकारियों को तैनात किया जाए और पारदर्शिता व निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए वहां रहने वाले लोगों से बातचीत के बाद किसी भी आपात स्थिति में महिला के आवास में प्रवेश करने की अनुमति दी जाएगी। इसके बाद भी वह एक बच्चे के साथ घर से कैसे निकल गई?'
अदालत को जवाब देते हुए ऐश्वर्या भट्टी ने कहा कि अधिकारी नेपाल, संयुक्त अरब अमीरात और रूस से जानकारी प्राप्त करने की कोशिश कर रहे हैं और विदेशी एयरलाइनों से भी जानकारी मांग रहे हैं, लेकिन उन्हें कोई डेटा नहीं मिला है क्योंकि उनका कहना है कि यह गोपनीयता का मामला है।
तब अदालत ने कहा, 'कोई भी विदेशी एयरलाइन अपराध के मामले में गोपनीयता के अधिकार का दावा नहीं कर सकती। वह सड़क मार्ग से बिहार होते हुए दिल्ली से नेपाल सीमा तक गई, जो एक कठिन काम है, लेकिन पुलिस को इसकी भनक तक नहीं लगी। वह डुप्लिकेट या जाली दस्तावेज़ों के आधार पर देश छोड़कर चली गई, क्योंकि मूल दस्तावेज अदालत के पास हैं। इसके बाद वह चार दिन तक नेपाल में रही, फिर भी दिल्ली पुलिस उसे रोकने के लिए कोई उपाय नहीं कर सकी।'
दिल्ली पुलिस के इस कृत्य को अदालती आदेश का घोर उल्लंघन बताते हुए पीठ ने भट्टी को इंटरपोल की मदद लेने का सुझाव दिया और कहा कि जरूरत पड़ने पर अदालत जरूरी आदेश पारित करेगी। पीठ ने कहा कि अधिकारियों को राजनयिक माध्यमों की तलाश करके और मॉस्को में भारतीय राजदूत से बात करके बच्चे को देश वापस लाने का प्रयास करना चाहिए। इससे पहले 21 जुलाई को केंद्र सरकार ने शीर्ष अदालत को सूचित किया था कि रूसी महिला नाबालिग के साथ नेपाल सीमा के रास्ते देश छोड़कर शारजाह के रास्ते अपने देश पहुंच चुकी है।
बता दें कि बच्चे के साथ भागी महिला एक रूसी नागरिक है, जो 2019 से भारत में रह रही थी। शुरू में वह एक्स-1 वीजा पर भारत आई थी, जिसकी अवधि बाद में समाप्त हो गई थी। हालांकि, अदालती कार्यवाही लंबित रहने के दौरान कोर्ट ने समय-समय पर वीजा की अवधि बढ़ाने का निर्देश भी दिया।
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