Page Nav

HIDE

Breaking News:

latest

नाबालिग से शादी अवैध, रेप के आरोप से बचने के लिए ना हो इसका इस्तेमाल; हाईकोर्ट की दो-टूक

 दिल्ली हाईकोर्ट ने एक मामले में कहा है कि कानून के तहत नाबालिग से विवाह अमान्य है। ऐसे में नाबालिग से विवाह इस्तेमाल दुष्कर्म के आरोप से बच...


 दिल्ली हाईकोर्ट ने एक मामले में कहा है कि कानून के तहत नाबालिग से विवाह अमान्य है। ऐसे में नाबालिग से विवाह इस्तेमाल दुष्कर्म के आरोप से बचने के लिए नहीं किया जा सकता है। जस्टिस संजीव नरूला की अदालत ने कहा कि नाबालिग से विवाह भारतीय कानून के तहत अमान्य है। ऐसे में नाबालिग से विवाह का इस्तेमाल अपराध को वैधानिक रूप देने के लिए लागू नहीं किया जा सकता है।

अदालत ने कहा कि जब पीड़िता सहमति देने की उम्र से कम है, तो वहां उसकी सहमति कोई मायने नहीं रखती। इसके साथ ही अदालत ने एक आरोपी की उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें उसने लगभग 16 साल की एक नाबालिग का बार-बार यौन उत्पीड़न करने के आरोप में दर्ज मामले में जमानत की मांग की थी।

 

इस मामले में पीड़िता ने बाद में आत्महत्या कर ली थी। इसके बाद पुलिस ने आरोपी के खिलाफ दुष्कर्म और पॉक्सो अधिनियम के तहत केस दर्ज किया था। मृतका की बहन के अनुसार, आरोपी ने कथित तौर पर नाबालिग को बहला-फुसलाकर उसके साथ शारीरिक संबंध बनाए। इतना ही नहीं बाद में वह उसे अपने साथ ले गया।

 

आरोप है कि मृतका लगभग दो महीने की गर्भवती थी। आरोपी उसका शारीरिक शोषण कर रहा था। यह भी आरोप है कि उसके आचरण के कारण मृतका ने अपनी जान दे दी। इस मामले में 34 साल के आरोपी ने मृतका के साथ अपने कथित संबंध को इस आधार पर जायज बताया था कि दुष्कर्म की घटना पीड़िता की सहमति से हुई थी।


आरोपी का कहना था कि उनका संबंध विवाह के दायरे में था। उसने आगे यह भी दलील दी कि पीड़िता सहमति से गर्भावस्था में गई थी। इसलिए यह मामला दुष्कर्म का नहीं बनता है। अदालत ने आरोपी की इस दलील को खारिज कर दिया। अदालत ने कहा कि आरोपी की विवाह वाली दलील गलत है। पीड़िता नाबालिग थी ऐसे में उसकी सहमति मायने नहीं रखती है।

 

अदालत ने यह भी कहा कि आरोपी की उम्र पीड़िता से दोगुनी से भी अधिक थी। उम्र का यह स्पष्ट अंतर शोषण के बारे में गंभीर चिंताएं पैदा करता है। खासकर तब जब पीड़िता आर्थिक और सामाजिक रूप से कमजोर थी। इसके साथ ही अदालत ने आरोपी यह दलील भी खारिज कर दी कि कथित घटना के समय पीड़िता 19 साल की थी। अदालत ने कहा कि यह दलील जमानत देने का आधार नहीं हो सकती है।




ليست هناك تعليقات