Page Nav

HIDE

Breaking News:

latest

ग्रेटर नोएडा में स्पोर्ट्स सिटी के लिए रिजर्व लैंड में चेंज से 2800 करोड़ का नुकसान, कैग रिपोर्ट में खुलासा

 ग्रेटर नोएडा शहर में स्पोर्ट सिटी का सपना अधिकारियों के गलत फैसलों की भेंट चढ़ गया। भारत के नियंत्रण और महालेखा परीक्षा (कैग) की रिपोर्ट मे...


 ग्रेटर नोएडा शहर में स्पोर्ट सिटी का सपना अधिकारियों के गलत फैसलों की भेंट चढ़ गया। भारत के नियंत्रण और महालेखा परीक्षा (कैग) की रिपोर्ट में यह बात सामने आई है। प्राधिकरण ने अंतरराष्ट्रीय स्पोर्ट्स सिटी में खेल सुविधा के लिए आरक्षित जमीन आवासीय में बदल दी, जिससे 2800 करोड़ से अधिक का नुकसान हुआ।

कैग की रिपोर्ट के मुताबिक, वर्ष 2011 से 2014 के बीच बड़े भूखंड स्पोर्ट्स सिटी और मनोरंजन पार्क के नाम पर आवंटित किए गए। यहां पर गोल्फ कोर्स, क्रिकेट अकादमी और विश्वस्तरीय खेलों के लिए सुविधा विकसित होनी थी, लेकिन मार्च 2022 तक एक भी स्पोर्ट सिटी या मनोरंजन परियोजना पूरी नहीं हो सकी। इसके बजाय अधिकांश जमीन पर आवास बना दिए गए, जबकि इस परियोजना का उद्देश्य सिर्फ विश्वस्तरीय खेल सुविधाएं को विकसित करना था, जिससे शहर की छवि बेहतर हो, बड़ी विदेशी खेल प्रतियोगिताओं को शहर में आयोजित कराया जा सके। साथ ही पर्यटन, प्रदर्शनियों और सांस्कृतिक कार्यक्रमों को बढ़ावा मिले।

मास्टर प्लान 2021 के अनुसार 2,016 हेक्टेयर जमीन को मनोरंजन ग्रीन के रूप में चिह्नित किया गया था। इसका उपयोग सिर्फ खेल परिसर, मनोरंजन पार्क आदि के लिए होना था। योजना के नियमों के अनुसार 70 से 75 प्रतिशत जमीन खेल व मनोरंजन के लिए आरक्षित थी और हाउसिंग व कमर्शियल इस्तेमाल पर सख्त पाबंद थी।


भुगतान में असफल रहे आवंटी : योजना के सब-आवंटी भुगतान में असफल रहे, जिससे 2329 करोड़ का नुकसान हुआ। आवेदन की पात्रता शर्तें ऐसी बनाई गईं कि खेल कंपनियों की बजाय रियल एस्टेट को फायदा हुआ। रिपोर्ट में दावा किया गया कि इसके लिए डीपीआर की आवश्यकता नहीं थी, बिल्डरों को बिना योजना के ज़मीन मिल गई। प्राधिकरण ने ऐसे नक्शे भी पास कर दिए जिनमें बड़ी खेल सुविधाएं जैसे गोल्फ कोर्स बनाना ही संभव नहीं था, जो खेल सुविधाएं बनीं, वे सिर्फ सोसाइटी के लिए थीं।


बिल्डरों को 690 करोड़ की रियायत मिली


प्राधिकरण ने रिहायशी इस्तेमाल के लिए ज्यादा एफएआर (फ्लोर एरिया रेश्यो) और ग्राउंड कवरेज की अनुमति दी, जिससे 470 करोड़ का अनुचित लाभ बिल्डरों को मिला। साथ ही जमीन की कीमतें तय करते समय जरूरी लागतों को नजरअंदाज कर दिया गया, जिससे बिल्डरों को 690 करोड़ की रियायत और मिली।




कोई टिप्पणी नहीं