देश में वर्षों से संचालित हो रही गरीब रथ ट्रेन के नाम को बदलने की मांग अब जोर पकड़ने लगी है। एक मध्यम वर्गीय सेवा परिवार से संबंधित नागरिक ...
देश में वर्षों से संचालित हो रही गरीब रथ ट्रेन के नाम को बदलने की मांग अब जोर पकड़ने लगी है। एक मध्यम वर्गीय सेवा परिवार से संबंधित नागरिक ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर अनुरोध किया है कि इन ट्रेनों का नाम सम्मान रथ जैसे शब्दों पर आधारित रखा जाए। पत्र में स्पष्ट रूप से लिखा गया है कि गरीब रथ शब्द सुनते ही यात्री अपने आर्थिक वर्ग की पहचान में सीमित महसूस करते हैं। यह नाम उनकी मेहनत, ईमानदारी और आत्मगौरव को दर्शाने की बजाय,उनके वर्ग को दर्शाता है,जो एक तरह से असम्मानजनक प्रतीत होता है।
शिकायतकर्ता का तर्क है कि यह सिर्फ नाम बदलने की बात नहीं,बल्कि एक गहरी सामाजिक पहचान को सम्मान देने का कार्य होगा। नागरिक ने अपने पत्र में कई उदाहरण दिए हैं,जहां जनभावनाओं का सम्मान करने के लिए ऐतिहासिक रूप से नाम बदले गए हैं। जिसमें उदाहरण के तौर पर राजपथ को कर्तव्य पथ,संसद मार्ग को लोक कल्याण मार्ग,मुगलसराय को पं.दीनदयाल उपाध्याय जंक्शन,इलाहाबाद को प्रयागराज किया गया है।
तत्कालीन रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव ने 2006 में गरीब रथ ट्रेन शुरू की थी। यह ट्रेन कम और मध्यम आय वाले यात्रियों के लिए थी। भारत की पहली गरीब रथ ट्रेन को बिहार के सहरसा से पंजाब के अमृतसर के लिए चलाया गया था। बाद में गरीब रथ एक्सप्रेस कई और रास्तों पर भी चलने लगी। इन सभी ट्रेनों में एसी थ्री-टियर (3AC) कोच होते हैं और इनका किराया भी दूसरी ट्रेनों के 3AC कोचों से कम होता है।
गरीब रथ ट्रेन के एक कोच में दूसरी ट्रेनों के 3AC कोचों से ज़्यादा सीटें होती हैं (78 से 81 तक)। इसके 3AC कोच में 18 लोअर बर्थ,18 मिडिल बर्थ,18 अपर बर्थ,9 साइड लोअर,9 साइड मिडिल और 9 साइड अपर बर्थ होती हैं।
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