ग्रेटर नोएडा के रबूपुरा से भाईपुर ब्रह्मन तक सड़क चौड़ीकरण का काम शुरू हो गया है। सड़क के दोनों तरफ चौड़ीकरण के लिए खुदाई का कार्य जारी है। ...
ग्रेटर नोएडा के रबूपुरा से भाईपुर ब्रह्मन तक सड़क चौड़ीकरण का काम शुरू हो गया है। सड़क के दोनों तरफ चौड़ीकरण के लिए खुदाई का कार्य जारी है। झाझर-रबूपुरा-भाईपुर तक 9.5 किलोमीटर मार्ग 10 मीटर चौड़ा होना है। यह सड़क यमुना एक्सप्रेसवे अंडरपास होते हुए भाईपुर ब्रह्मन गांव स्थित नानकेश्वर महादेव मंदिर तक जाती है।
यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यीडा) क्षेत्र के भाईपुर ब्रह्मन गांव से रबूपुरा कस्बे होते हुए झाझर तक सिंगल रोड कुछ ही वर्ष पहले बनी है। झाझर और रबूपुरा के निवासी यमुना एक्सप्रेसवे के अंडरपास तक जाने आने के लिए इसी सड़क का उपयोग करते हैं। सावन में कांवड़िए भी इसका उपयोग करते हैं। यह सड़क यमुना एक्सप्रेसवे अंडरपास होते हुए भाईपुर ब्रह्मन गांव स्थित नानकेश्वर महादेव मंदिर तक जाती है। ऐसे में सिंगल रोड होने के चलते हादसों की आशंका रहती है। वहीं इस रोड पर स्ट्रीट लाइट न होने से रात में दुर्घटना की संभावना रहती है। लंबे समय से इस रोड के चौड़ीकरण की मांग की जा रही थी।
अब शासन की ओर से लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) को सड़क चौड़ीकरण का जिम्मा सौंपा गया है। पहले चरण में रबूपुरा से यमुना एक्सप्रेसवे अंडरपास तक निर्माण किया जाना है।
21 करोड़ होंगे खर्च
लोक निर्माण विभाग द्वारा बनाई जा रही 9.5 किलोमीटर लंबी सड़क के चौड़करण में 20.95 करोड़ रुपये की लागत आएगी। पांच वर्षों तक सड़क की मरम्मत के लिए 50.56 लाख रुपये अलग से मंजूर किए गए हैं। इस तरह कुल लागत 21.46 करोड़ रुपये आएगी।
नीमका के किसानों ने आपत्ति दर्ज कराई
वहीं, दूसरी तरफ ग्रेटर नोएडा के नीमका गांव के ग्रामीणों ने विस्थापन को लेकर शुक्रवार को हुई लोक सुनवाई में सामूहिक आपत्तियां दर्ज कराईं। इन आपत्तियों में भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया और सुनवाई में पारदर्शिता की कमी पर गंभीर सवाल उठाए गए हैं। जेवर एसडीएम अभय सिंह के सामने ग्रामीणों ने विभिन्न आपत्तियां दर्ज कराई। भूमि अधिग्रहण की सहमति प्रक्रिया पर ग्रामीणों ने गंभीर सवाल खड़े किए। ग्रामीणों का दावा है कि अधिग्रहण के लिए किए गए प्रयासों में केवल 20 प्रतिशत किसानों की सहमति प्राप्त हुई है, जबकि नियमानुसार भूमि अर्जन के लिए 70 प्रतिशत किसानों की सहमति अनिवार्य है। इसे लेकर ग्रामीणों ने प्रक्रिया की वैधानिकता पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
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