दिल्ली हाईकोर्ट ने गर्भ से रूबेला सिंड्रोम से पीड़ित बच्चे के पिता को अपना फर्ज निभाने की नसीहत दी। साथ ही यह भी कहा कि 8 साल के हो चुके बच्...
दिल्ली हाईकोर्ट ने गर्भ से रूबेला सिंड्रोम से पीड़ित बच्चे के पिता को अपना फर्ज निभाने की नसीहत दी। साथ ही यह भी कहा कि 8 साल के हो चुके बच्चे को तत्काल कॉक्लियर इंप्लांट सर्जरी की जरूरत है, इसलिए इलाज का पूरा खर्च पिता ही उठाएगा।
जस्टिस रेणु भटनागर और जस्टिस नवीन चावला की डिवीजन बेंच ने अपने आदेश में कहा कि बच्चे का इलाज दो साल की उम्र से एक निजी संस्थान में चल रहा है। अब पिता यह कहकर उसकी सर्जरी का भार उठाने से इनकार कर रहा है कि सर्जरी एम्स में हो सकती है तो निजी अस्पताल में क्यों कराई जाए। बेंच ने कहा कि पिता आर्थिक रूप से समृद्ध है। इसके बावजूद बच्चे की सर्जरी वहां कराने से इनकार कर रहा है, जहां उसका पिछले छह साल से इलाज चल रहा है।
बेंच ने यह भी माना कि बच्चे को जन्मजात बीमारी है। इसके लिए आधुनिक तकनीक वाले अस्पताल की आवश्यकता है। उक्त निजी संस्थान में आधुनिक उपकरण हैं। वहां बच्चे को उचित इलाज मिल पाएगा। बेंच ने कहा कि यदि आर्थिक तंगी की स्थिति होती तो समझा जा सकता है कि महंगी सर्जरी एम्स में कराना उचित है, लेकिन यहां ऐसे हालात नहीं हैं।
फैमिली कोर्ट ने पिता पर 75% की डाली थी जिम्मेदारी
साकेत स्थित फैमिली कोर्ट ने बच्चे के इलाज की 75% जिम्मेदारी पिता और 25% खर्च मां को उठाने को कहा था, लेकिन हाईकोर्ट की बेंच ने कहा कि जब मां-बच्चे दोनों को पति/पिता गुजाराभत्ते का भुगतान कर रहा है तो इससे स्पष्ट है कि बच्चे की मां इलाज का खर्च उठाने में समर्थ नहीं है। बेंच ने फैमिली कोर्ट के 75:25 फीसदी के अनुपात को रद्द कर दिया है और सारा खर्च पिता को उठाने को कहा है। साथ ही, फैमिली कोर्ट को बच्चे के इलाज पर निगरानी रखने और रिपोर्ट दाखिल करने के निर्देश दिए।
रूबेला सिंड्रोम से पीड़ित है मासूम
दंपती की शादी 2015 में हुई थी। 2017 में महिला ने बच्चे (लड़के) को जन्म दिया। बच्चा रूबेला सिंड्रोम से पीड़ित पाया गया। महिला का आरोप है कि पति ने उसे और उसके बच्चे को इस मुश्किल परिस्थिति में अकेला छोड़ दिया। बता दें कि जन्मजात रूबेला सिंड्रोम एक ऐसी स्थिति है, जो गर्भावस्था के दौरान मां को रूबेला (जर्मन खसरा) होने पर उसके अजन्मे बच्चे को हो सकता है। इस संक्रमण के कारण बच्चे में कई तरह के जन्म दोष हो सकते हैं जैसे कि हृदय की समस्याएं, मोतियाबिंद, सुनने में समस्या एवं शारीरिक विकास में देरी।
कोई टिप्पणी नहीं