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दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे के सभी 15 अंडरपास में लगेंगे CCTV कैमरे, ये होंगे फायदे

 गाजियाबाद के यूपी गेट से डासना तक दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे (डीएमई) के सभी 15 अंडरपास पर सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएंगे। इनकी मदद से ट्रैफिक कंट्...


 गाजियाबाद के यूपी गेट से डासना तक दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे (डीएमई) के सभी 15 अंडरपास पर सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएंगे। इनकी मदद से ट्रैफिक कंट्रोल करने के साथ ही नियम तोड़ने वाले वाहनों का चालान किया जाएगा। पुलिस हर गतिविधि पर नजर रख सकेगी।

 

मेरठ एक्सप्रेसवे पर यातायात को सुरक्षित और सुगम बनाने के लिए यातायात पुलिस ने अंडरपास में सीसीटीवी कैमरे लगाने का प्रस्ताव दिया है। नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एनएचएआई) ने प्रस्ताव मिलने पर कैमरे लगाने के लिए सर्वे शुरू करा दिया। विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार की जा रही है। इसे मंजूरी के लिए मंत्रालय को भेजा जाएगा। सीसीटीवी कैमरे लगने से यातायात नियमों का उल्लंघन करने वालों की निगरानी रखी जा सकेगी। कैमरों लगने के बाद एक्सप्रेसवे पर सुरक्षा बेहतर होगी।

 

निगरानी के लिए लाल कुआं पर पुलिस बूथ बनेगा : एनएचआई के अधिकारियों ने बताया कि लालकुआं के पास हाईवे और एक्सप्रेसवे की निगरानी के लिए पुलिस बूथ खोला जाएगा। एनएचएआई बूथ तैयार कराएगा। बूथ खुलने के बाद कोई भी सूचना मिलने पर पुलिस तत्काल मौके पर पहुंच जाएगी। यह बूथ स्थाई बनाया जाएगा।

 

मेरठ एक्सप्रेसवे पर पहले से लगे हैं कैमरे : मेरठ एक्सप्रेसवे के सभी चार खंड पर पहले से कैमरे लगे हैं। कैमरों को डासना में बने कंट्रोल रूम से जोड़ा है। कैमरों की मदद से हर वाहन पर नजर रखी जा रही है। यातायात के नियम तोड़ने वाले वाहन चालकों का चालान किया जा रहा।


यह लाभ मिलेंगे


● यातायात प्रबंधन: कैमरों की फुटेज का प्रयोग दुर्घटनाओं और अन्य घटनाओं की निगरानी करने के लिए किया जाएगा, जिससे यातायात प्रबंधन में सुधार होगा।

● सुरक्षा: कैमरों का इस्तेमाल अपराध को रोकने और अपराधियों की पहचान करने के लिए किया जाएगा। इससे गाड़ी के अंदर तक नजर रहेगी।


● यातायात नियमों का प्रवर्तन: यातायात नियमों का उल्लंघन करने वाले वाहनों की पहचान कर उन पर जुर्माना लगाने के लिए कार्रवाई की जाएगी।


अरविंद कुमार, परियोजना निदेशक, एनएचएआई, ''मेरठ एक्सप्रेसवे के सभी अंडरपास पर कैमरे लगाए जाएंगे। ट्रैफिक पुलिस ने यह प्रस्ताव दिया है। कैमरे लगाने की डीपीआर तैयार कर मंजूरी के लिए मंत्रालय को भेजी जाएगी। मंजूरी मिलते ही कैमरे लगाने का काम शुरू करा दिया जाएगा।''




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