मौत के बाद भी ‘जिंदा’ 105 साल की बुजुर्ग महिला… बस किसी की आंखों की रोशनी बनकर


उत्तर प्रदेश के गाजीपुर से नेत्रदान का एक अनोखा मामला सामने आया है, जहां एक बुजुर्ग महिला ने 105 साल की उम्र में भी दुनिया देखने की इच्छा जाहिर की वो भी अपनी आंखों से नहीं बल्कि दूसरों की आंखों से. उन्होंने 105 साल की उम्र में देह त्यागने से पहले अपने परिवार को अंतिम इच्छा के तौर पर अपनी आई डोनेट करने की बात कहीं थी. ताकि मरने के बाद भी उनकी आंखें लंबे समय तक इस दुनिया को देख सके.


गाजीपुर के भांवरकोल थाना क्षेत्र के टोडरपुर गांव की रहने वाली रेशमी मौर्य की करीब 105 साल की उम्र में दो दिनों पहले मृत्यु हो गई थी, लेकिन मौत से पहले उन्होंने अपने परिवार के लोगों के साथ ही सम्राट अशोक क्लब संस्था के लोगों से अपने नेत्र को दान करने की इच्छा जताई थी. उन्हीं के इच्छा अनुसार रविवार को नेत्रदान जैसे महा दान में एक नाम रेशमी मौर्य का भी जुड़ गया, जिनके परिजनों ने 105 साल की उम्र में नेत्रदान कराया.


बुजुर्ग महिला का क्या था संकल्प


बता दें की सम्राट अशोक क्लब संस्था नेत्रदान करने वाले परिवार के सदस्यों से लगातार संपर्क करते रहते हैं और ऐसा जो भी परिवार नेत्रदान करने के लिए अपनी सहमति जताता है उनके संपर्क में बने रहते हैं. ऐसा ही कुछ दिनों पहले भी हुआ था जब रेशमी मौर्य ने अपने परिजनों से नेत्रदान की इच्छा जताई थी. वह चाहती थी कि वह भले ही उन्होंने 105 साल अपनी जिंदगी जी ली हो, लेकिन आगे भी वह दूसरे की आंखों से देखते रहे और इसी के तहत उन्होंने नेत्रदान का संकल्प लिया था.


105 साल की बुजुर्ग महिला का नेत्रदान हुआ


उनकी मौत की जानकारी होने पर सम्राट अशोक क्लब के सदस्य अरविंद मौर्या सहित तमाम लोगों ने इसकी जानकारी वाराणसी अस्पताल के नेत्र सर्जन डॉक्टर अजय मौर्य और उनकी टीम को दी. इस जानकारी के बाद नेत्र सर्जन और उनकी पूरी टीम टोडरपुर ग्राम सभा पहुंच गई. इसके बाद परिवार के सदस्यों ने संकल्प के अनुसार नेत्रदान कराया. नेत्रदान कार्यक्रम के पश्चात रेशमी मौर्य को श्रद्धांजलि देने का कार्यक्रम शुरू हुआ.


इमसें उनके भतीजे राजेंद्र सिंह कुशवाहा के साथ ही जिला अध्यक्ष अरविंद मौर्य और क्लब के सदस्य राम नारायण मौर्य ,चंदन मौर्य, ग्राम प्रधान विनय कनौजिया, मिर्जापुर के ग्राम प्रधान फैसल अंसारी सहित कई लोगों ने भी रेशमी मौर्य को श्रद्धांजलि अर्पित कर नेत्रदान को महादान बताया. बता दें कि रक्तदान और नेत्रदान, दो ऐसे महादान हैं जो केवल प्राकृतिक हैं. नेत्रदान और रक्तदान मानवता के कार्य हैं.


सम्राट अशोक क्लब संस्था ने कराया 16वां नेत्रदान


रक्तदान धीरे- धीरे आवश्यकतानुसार और सुविधानुसार समाज में अपना स्थान बना चुका है, लेकिन नेत्रदान को इसके लिए बहुत सफर तय करना है. देह दान के लिए तो बहुत सतर्कता और जागरूकता की आवश्यकता है. घर- घर रक्तदान,नेत्रदान कराने की जागरूकता के लिए अनेक सरकारी और गैर सरकारी संगठनों ने अपने प्रयास तेज कर दिए हैं. सम्राट अशोक क्लब संस्था के माध्यम से यह 16वां नेत्रदान हुआ.




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