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सीता स्वयंवर की कथा सुन भक्त निहाल हुए

  दैनिक सरोकार !  संवाददाता / इटावा : भरथना , नगर क्षेत्र अंतर्गत मिडिल स्कूल प्रांगण में आयोजित राम कथा में  आचार्य भरत देव जी ने सोमवार को...


 



दैनिक सरोकार !  संवाददाता / इटावा : भरथना ,

नगर क्षेत्र अंतर्गत मिडिल स्कूल प्रांगण में आयोजित राम कथा में  आचार्य भरत देव जी ने सोमवार को कथा श्रवण कराते हुए कहा कि राजा जनक ने अपनी पुत्री सीता का विवाह करने के लिए स्वयंवर का आयोजन किया। इसमें आए देश देशांतर के राजाओं के धनुष न उठा पाने से वह निराश हो गए और राजाओं से कहा 'तजहुं आस निज निज रह जाहू, लिखा न विधि वैदेही विवाहू' कहकर उन्होंने निराशा के भाव व्यक्त कर दिए वहीं कहा कि 'अब जनि कोऊ माखै भटमानी, वीरविहीन मही मैं जानी' कहकर राजाओं को झकझोर दिया। राजा जनक के कहे गए शब्द सुन लक्ष्मण जी उत्तेजित हो जाते हैं जिन्हें श्रीराम ने शांत करते हुए' लखन तुम शांत हो बैठो व्यथा क्यों क्रोध करते हो, पिता के सम हमारे हैं जिनसे आज लड़ते हो।' विश्वामित्र की आज्ञा पाकर श्रीराम ने धनुष का तोड़ दिया तो इसकी घनघोर आजवा सुन महिद्राचल पर तपस्या में लीन महर्षि परशुराम की तंद्रा भंग हो गई और वह मिथिला पुरी जा पहुंचे और राजा जनक से धनुष तोड़ने वाले के बारे में पूछते हुए कहा कि 'कहु जड़ जनक धनुष कै तोरा।' जनक को मौन देख उत्तेजित परशुराम जी कहते हैं कि 'बेगि दिखाव मूढ़ न तौ आजू, उलटहुं महि जंह लौ युवराजू। ' श्री रामजी परशुराम को शांत करने का प्रयास करते हैं ।

इस अवसर पर  पवन दुबे, मुकेश दीक्षित, कक्का दुबे, विनोद तिवारी, सौरभ दुबे, महेश शुक्ला, दीपक मिश्रा, ब्रजमोहन मिश्रा,पुत्तन तिवारी आदि मौजूद रहे।

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