अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया, संजय सिंह, सत्येंद्र जैन जैसे उन 'आप' नेताओं की लिस्ट में अब सौरभ भारद्वाज का नाम भी शामिल हो गया ...
अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया, संजय सिंह, सत्येंद्र जैन जैसे उन 'आप' नेताओं की लिस्ट में अब सौरभ भारद्वाज का नाम भी शामिल हो गया है, जिनके खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने शिकंजा कसा है। ईडी ने मंगलवार को सौरभ भारद्वाज के घर समेत 13 ठिकानों पर छापेमारी की। यह कार्रवाई कथित अस्पताल निर्माण घोटाले में की गई है। इस मामले में सौरभ भारद्वाज के अलावा पूर्व स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन के खिलाफ भी केस दर्ज किया गया था।
केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से दिल्ली के पूर्व स्वास्थ्य मंत्रियों भारद्वाज और जैन के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत जांच की मंजूरी दिए जाने के बाद एंटी करप्शन ब्यूरो ने केस दर्ज किया था। इसके बाद ईडी ने भी इस मामले में कथित मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों की जांच शुरू की। अब इसी सिलसिले में सौरभ भारद्वाज के आवास समेत अन्य ठिकानों पर छापेमारी की गई है।
एसीबी ने कई धाराओं में दर्ज किया था मुकदमा
जब एसीबी ने केस दर्ज किया था तो इसके संयुक्त पुलिस आयुक्त मधुर वर्मा ने कहा कि भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13(1) के साथ-साथ भारतीय दंड संहिता की धारा 409 (लोक सेवक या बैंकर, व्यापारी या एजेंट द्वारा आपराधिक विश्वासघात), 420 (धोखाधड़ी) और 120-बी (आपराधिक साजिश) के तहत भारद्वाज, जैन, अज्ञात सरकारी अधिकारियों और निजी ठेकेदारों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। उन्होंने बताया था कि कथित साजिश को बेनकाब करने और इसमें शामिल पूर्व मंत्रियों, अधिकारियों और निजी संस्थाओं की भूमिका और जवाबदेही निर्धारित करने के लिए एक व्यापक जांच शुरू की गई है।
5590 करोड़ में बनने थे 24 अस्पताल, विजेंद्र गुप्ता की शिकायत पर जांच
2018-19 में 5,590 करोड़ रुपये की लागत से 24 अस्पताल परियोजनाओं को मंजूरी दी गई थी जिनमें 11 ‘ग्रीनफील्ड’ और 13 ‘ब्राउनफील्ड’ शामिल हैं। अधिकारियों ने बताया कि इन परियोजनाओं को लेकर अकारण विलंब हुआ और इनकी लागत में अत्यधिक वृद्धि हुई। दरअसल, पिछले साल 22 अगस्त को दिल्ली के तत्कालीन विपक्ष के नेता विजेंद्र गुप्ता ने एक शिकायत दी थी जिसके मुताबिक ‘दिल्ली सरकार की विभिन्न स्वास्थ्य बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में घोटाला किया गया है।' शिकायत में भारद्वाज और जैन का नाम दिया गया। उन पर ‘परियोजना बजट में हेरफेर, सार्वजनिक धन का दुरुपयोग और निजी ठेकेदारों के साथ मिलीभगत’ का आरोप लगाया गया था।
निर्माण अटके रहे, लागत बढ़ती रही
वर्मा ने कहा था कि 1,125 करोड़ रुपये की आईसीयू अस्पताल परियोजना लगभग तीन साल और 800 करोड़ रुपये के खर्च होने के बाद भी केवल 50 प्रतिशत ही पूरी हुई है। उन्होंने बताया था कि शिकायत के सत्यापन से पता चला कि ज्वालापुरी और मादीपुर के सरकारी अस्पतालों में सक्षम प्राधिकारियों की मंजूरी के बिना अनधिकृत अतिरिक्त निर्माण कार्य किया गया। मादीपुर अस्पताल परियोजना नवंबर 2022 तक पूरी होनी थी, लेकिन यह अब भी अधूरी पड़ी है। 7 आईसीयू अस्पतालों की लागत में 100 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई है, और निर्माण कार्य के पूरा होने की समयसीमा फरवरी 2022 थी, लेकिन यह अब भी अधूरा है।
आप ने कहा था- एजेंसियों का दुरुपयोग
‘आप’ ने उनके नेताओं को बदनाम करने के लिए एजेंसियों के दुरुपयोग का आरोप लगाया था। आधिकारिक रिकॉर्ड का हवाला देते हुए ‘आप’ ने कहा था कि एसीबी के अपने दस्तावेजों में माना है कि जिन परियोजनाओं पर सवाल उठाए गए हैं, उन्हें 2017-18 में मंजूरी दी गई थी और स्वास्थ्य सूचना प्रबंधन प्रणाली (एचआईएमएस) की घोषणा 2016-17 में की गई थी जो भारद्वाज के 2023 में पदभार संभालने से कई साल पहले की बात है। एसीबी की ओर से केस दर्ज किए जाने के बाद भारद्वाज ने कहा था कि प्राथमिकी से यह स्पष्ट हो जाएगा कि बिना किसी उचित कारण के केवल दो पूर्व मंत्रियों का नाम लिया गया है जबकि वास्तव में अस्पताल परियोजनाओं के क्रियान्वयन के लिए जिम्मेदार सभी स्वास्थ्य और पीडब्ल्यूडी अधिकारियों को बख्श दिया गया है। जैन ने कहा था कि अभी तक ऐसा कोई सबूत नहीं है जो यह साबित करे कि इन परियोजनाओं की मंजूरी में भ्रष्टाचार हुआ है।
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