नई दिल्ली, कार्यालय संवाददाता। दिल्ली उच्च न्यायालय ने पास्को के एक मामले में व्यक्ति को जमानत देने से इनकार कर दिया है। न्यायमूर्ति गिरीश...
नई दिल्ली, कार्यालय संवाददाता। दिल्ली उच्च न्यायालय ने पास्को के एक मामले में व्यक्ति को जमानत देने से इनकार कर दिया है। न्यायमूर्ति गिरीश कठपालिया की पीठ ने कहा कि केवल सार्वजनिक आक्रोश और घटना की मीडिया कवरेज से अपराध की गंभीरता कम नहीं हो सकती। बता दें कि मामले में आईपीसी की धारा 302, 363, 201 और पाक्सो अधिनियम की धारा छह के तहत अपराधों के लिए साल 2016 में प्राथमिकी दर्ज की गई थी। आरोप है कि आरोपी ने आठ साल की बच्ची से दुष्कर्म किया। उसका गला घोंटकर हत्या कर दी और शव को प्लास्टिक की थैली में भरकर गड्ढे में छिपा दिया।
आरोपी ने दलील दी कि जनता के दबाव और मीडिया ट्रायल के चलते उसे इस मामले में झूठा फंसाया गया है। उसने कहा कि मृतक बच्ची की मौत के समय को लेकर संदेह है। कोर्ट को न्यायिक रूप से मान्य विभिन्न मानदंडों को ध्यान में रखना होगा, जिनमें कथित अपराध की प्रकृति और गंभीरता तथा उसके समर्थन में रिकार्ड पर मौजूद सामग्री शामिल है।
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