दिल्ली में जलभराव की समस्या को लेकर सोमवार को हाई कोर्ट से सुप्रीम कोर्ट तक ने नाराजगी जाहिर की। सुप्रीम कोर्ट ने तो यहां तक कहा कि महज दो ...
दिल्ली में जलभराव की समस्या को लेकर सोमवार को हाई कोर्ट से सुप्रीम कोर्ट तक ने नाराजगी जाहिर की। सुप्रीम कोर्ट ने तो यहां तक कहा कि महज दो घंटे की बारिश में दिल्ली लकवाग्रस्त हो जाती है। वहीं, दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि जलभराव और जाम की समस्या रोकने में भ्रम की स्थिति है। सुप्रीम कोर्ट ने केरल के पलियेक्कारा में राष्ट्रीय राजमार्ग 544 पर टोल वसूली पर रोक लगाने के हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली पर भी कड़ी टिप्पणी की।
सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा
मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई, न्यायमूर्ति के विनोद चंद्रन और एनवी अंजारिया की पीठ ने भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) से सवाल किया कि यदि केरल के त्रिशूर में 65 किलोमीटर लंबे राजमार्ग को तय करने में 12 घंटे लगते हैं, तो लोगों से 150 रुपये टोल क्यों वसूल किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, 'कहा कि सफर में 11 घंटे अधिक लगते हैं और टोल भी देना पड़ता है, यह कहां तक उचित है। यातायात जाम की समस्या गंभीर है, आप जानते ही हैं दिल्ली में क्या होता है। महज दो घंटे की बारिश से दिल्ली पूरी तरह लकवाग्रस्त हो जाती है।'
हाई कोर्ट ने भी जमकर सुनाया
दिल्ली हाई कोर्ट ने राजधानी में जलभराव और ट्रैफिक जाम की स्थिति पर गंभीर चिंता जाहिर की है। कोर्ट ने कहा कि राजधानी में जलभराव व ट्रैफिक जाम का मुख्य कारण प्रशासनिक भ्रम का होना है। विभाग एक-दूसरे पर इसकी जिम्मेदारी डालते रहते हैं और अपने वास्तविक काम से बचते रहते हैं। इसलिए यहां ऐसी स्थित बनती है। न्यायमूर्ति प्रतिभा एम सिंह एवं न्यायमूर्ति मनमीत प्रीतम सिंह अरोड़ा की पीठ ने कहा कि आवश्यक नागरिक सेवाओं व उपयोगिताओं, जैसे जल निकासी व्यवस्था के प्रभावी संचालन के संबंध में पूरी दिल्ली में पूर्ण उदासीनता व्याप्त है। इस उदासीनता का कारण दिल्ली को इन समस्याओं से बचाने के लिए एक सिविक निकायों की अलग-अलग जिम्मेदारी है। इसलिए राज्य सरकार को चाहिए कि वह एक केन्द्रीयकृत व्यवस्था बनाए, जिससे भविष्य में ऐसे हालात से बचा जा सके। पीठ ने इस मामले में दिल्ली सरकार से 19 अगस्त को अग्रिम व्यवस्था को लेकर रिपोर्ट पेश करने को कहा है।
कोर्ट ने दी मिलकर काम करने की सलाह
दरअसल, दिल्ली में जलभराव व ट्रैफिक जाम की गंभीर स्थिति को देखते हुए उच्च न्यायालय ने संबंधित नगर निकायों को मिलकर काम करने की सलाह दी है। साथ ही दिल्ली सरकार को कहा है कि वह राजधानी में प्रशासन एवं प्रबंधन को केंद्रीयकृत करने की पहल करें। उच्च न्यायाल ने कहा कि इस प्रयास से बारिश होने पर राजधानी वासियों को बड़ी राहत दी जा सकती है। पीठ ने कहा कि दिल्ली में हालात बद से बदतर होने की वजह यह है कि नालियों का जिम्मा दिल्ली नगर निगम के पास है, जबकि सीवर पाइप लाइन की देखरेख दिल्ली जल बोर्ड संभालता है। इससे उचित सफाई नहीं हो पाती। दोनों एक-दूसरे पर दिल्ली के बिगड़ते हालात का ठीकरा फोड़ते रहते हैं। इसलिए ऐसी व्यवस्था की जाए, जिससे संबंधित विभाग मिलकर काम करें और लोगों को समस्या से निजात दिलाया जा सके।
दो याचिकाओं पर चल रही सुनवाई
पीठ महारानी बाग कॉलोनी से सटे तैमूर नगर नाले में व उसके आसपास जलभराव के मुद्दे से संबंधित एक याचिका पर सुनवाई कर रही है। वहीं पीठ के समक्ष एक और याचिका आई थी जिसमें इस क्षेत्र में झुग्गियों में रहने वाले 14 परिवारों ने एक आवेदन दायर किया था, जिसमें पुनर्वास या उपयुक्त वैकल्पिक आवास की मांग की गई थी, ताकि न्यायालय द्वारा नाले के विस्तार से संबंधित अधिकार प्राप्त विशेष कार्य बल किसी भी अतिक्रमण को हटा सके। इस याचिका के साथ ही वहां होने वाले जलभराव व ट्रैफिक जाम को पीठ ने स्वत: संज्ञान याचिका के तौर पर लेते हुए पूरी दिल्ली में इन हालातों को शामिल किया गया।
ليست هناك تعليقات