दिल्ली हाई कोर्ट ने नीतीश कटारा हत्याकांड में दोषी विकास यादव की रिहाई की याचिका पर केंद्र और दिल्ली सरकार से जवाब मांगा है। 23 साल से ज्य...
दिल्ली हाई कोर्ट ने नीतीश कटारा हत्याकांड में दोषी विकास यादव की रिहाई की याचिका पर केंद्र और दिल्ली सरकार से जवाब मांगा है। 23 साल से ज्यादा समय से जेल में बंद 54 साल के विकास यादव ने कहा कि उसकी शादी 5 सितंबर को तय है और उसे सजा सुनाए जाने के समय उस पर लगाए गए 54 लाख रुपए के जुर्माने का इंतजाम करना है। जस्टिस रविंदर डुडेजा ने उनकी याचिका पर केंद्रीय गृह मंत्रालय, कानून और न्याय मंत्रालय, दिल्ली सरकार और नीतीश कटारा की मां नीलम कटारा को नोटिस जारी किया।
विकास यादव के वकील द्वारा उनकी शादी के कारण जल्दी सुनवाई करने की मांग के बाद कोर्ट ने मामले की सुनवाई 2 सितंबर के लिए स्थगित कर दी। याचिका में 6 फरवरी 2015 को उन्हें 25 साल की निश्चित अवधि की सजा सुनाते समय सीआरपीसी के प्रावधानों के तहत वैधानिक छूट के लाभों से वंचित करने का मुद्दा उठाया गया है। उन्होंने जेल से अपनी रिहाई और संबंधित अधिकारियों से छूट के लिए आवेदन करने की अनुमति मांगी।
उनके वकील ने कहा कि यादव अपनी 25 साल की निश्चित अवधि की सजा में से 23 साल से ज्यादा की सजा काट चुके हैं और किसी दोषी को वैधानिक छूट का लाभ न्यायालय की दंड देने की शक्तियों के अंतर्गत नहीं आता है।
याचिका में कहा गया है कि निश्चित अवधि की सजा के दौरान छूट से इनकार करना संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत याचिकाकर्ता को मिले जीवन के अधिकार का उल्लंघन है। यह दोषी को छूट के लिए आवेदन करने या मांगने से वंचित करता है। सुप्रीम कोर्ट ने पहले उन्हें इस मामले में छूट के लिए हाई कोर्ट जाने की अनुमति दी थी।
विकास यादव अपनी बीमार मां की देखभाल के लिए सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर फिलहाल 26 अगस्त तक अंतरिम जमानत पर हैं। हालांकि, हाई कोर्ट ने उनकी वर्तमान अंतरिम जमानत याचिका और शीर्ष अदालत द्वारा दी गई जमानत याचिका के बीच कोई संबंध न होने का हवाला देते हुए उन्हें 26 अगस्त को सरेंडर करने को कहा। विकास यादव ने हाई कोर्ट से अपनी शादी और जुर्माने की राशि चुकाने के लिए धन की व्यवस्था करने के लिए दो महीने की अंतरिम जमानत देने का भी अनुरोध किया है।
उनके वकील ने विकास यादव की तरफ से कहा, "मेरे पास आय का कोई स्रोत नहीं है। मैं 54 साल का हूं। अगर मैं अभी शादी करके घर नहीं बसाता, तो यह सब खत्म हो जाएगा। घर बसाने का यही मेरा एकमात्र मौका है।"
नीतीश कटारा की मां नीलम कटारा के वकील ने इस याचिका का विरोध किया और तर्क दिया कि दोषी के लिए अंतरिम जमानत का कोई प्रावधान नहीं है। वकील ने आगे कहा कि एक दोषी या तो पैरोल या फर्लो का हकदार होता है। कोर्ट ने भी कहा कि किसी दोषी को अंतरिम जमानत देने का प्रावधान बिल्कुल अनसुना है। जज ने विकास यादव के वकील से कहा कि क्या हाई कोर्ट को दोषसिद्धि के बाद और पुनर्विचार याचिका खारिज होने के बाद अंतरिम जमानत देने का अधिकार है? आप इस पर विचार कर सकते हैं। मैं इसे लंबित रख रहा हूं।
विकास यादव उत्तर प्रदेश के राजनेता डी. पी. यादव के पुत्र हैं। उनके चचेरे भाई विशाल यादव को भी नीतीश कटारा के अपहरण और हत्या के लिए सजा मिली थी। अलग-अलग जातियों से होने के कारण विकास यादव अपनी बहन भारती यादव के साथ कटारा के कथित संबंधों के खिलाफ थे।
इस मामले में एक अन्य सह-दोषी सुखदेव पहलवान को बिना किसी छूट के 20 साल की जेल की सजा सुनाई गई थी। 29 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने उसे जेल से रिहा करने का आदेश दिया। उसने इस साल मार्च में अपनी 20 साल की सजा पूरी कर ली थी।
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