दिल्ली नगर निगम के लिए 2022-23 वित्तीय वर्ष की ऑडिट रिपोर्ट में चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। बुधवार को स्टैंडिंग कमेटी की बैठक में पेश इस र...
दिल्ली नगर निगम के लिए 2022-23 वित्तीय वर्ष की ऑडिट रिपोर्ट में चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। बुधवार को स्टैंडिंग कमेटी की बैठक में पेश इस रिपोर्ट में वित्तीय अनियमितताओं और राजस्व की गैर-वसूली के कारण एमसीडी को 312.5 करोड़ रुपये के भारी नुकसान का अनुमान लगाया गया है।
ऑडिट में देरी, फिर भी खुली पोल
पिछले दो सालों से MCD में ऑडिट प्रक्रिया अटकी हुई थी। इसका कारण था स्टैंडिंग कमेटी का गठन न हो पाना, जो राजनीतिक और कानूनी उलझनों में फंस गया था। मई 2022 में तीनों निगमों (पूर्व, दक्षिण और उत्तर दिल्ली) के एकीकरण के बाद यह पहली ऑडिट रिपोर्ट है। 18 सदस्यों वाली स्टैंडिंग कमेटी अब इस रिपोर्ट और अन्य लंबित ऑडिट की जांच करेगी। मुख्य ऑडिटर वर्षा तिवारी के अनुसार, इस रिपोर्ट में सात विभागों से जुड़े 77 ऑडिट पैराग्राफ हैं, जिनमें कुल 312.5 करोड़ रुपये की अनियमितताएं उजागर हुई हैं।
कचरा प्रबंधन में लापरवाही, 155.12 करोड़ का नुकसान
सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट नियम 2016 लागू होने के बावजूद MCD ने कचरा संग्रहण के लिए यूजर चार्ज लागू नहीं किया। खासकर, दक्षिणी क्षेत्र में कमर्शियल यूनिट से शुल्क वसूली में गड़बड़ी पाई गई, जिसके कारण 84.9 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। वहीं, सेंट्रल जोन में भी चार साल पहले अधिसूचित नियमों के बावजूद न्यूनतम यूजर फी की वसूली नहीं हुई, जिससे 70.23 करोड़ रुपये का अतिरिक्त घाटा हुआ। यह लापरवाही एमसीडी की जेब पर भारी पड़ी।
विज्ञापन नीति में चूक, 122.4 करोड़ की हानि
विज्ञापन विभाग भी कमजोर कड़ी साबित हुआ। 2017 की आउटडोर विज्ञापन नीति के तहत राजस्व हिस्सेदारी की वसूली में कमी के कारण MCD को 122.4 करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ा। इसमें आईजीआई एयरपोर्ट पर विज्ञापनों से 81.97 करोड़ रुपये और बस क्यू शेल्टर विज्ञापनों से 40.42 करोड़ रुपये की कम वसूली शामिल है। यह राशि एमसीडी की आय बढ़ाने में अहम योगदान दे सकती थी, लेकिन लापरवाही ने खेल बिगाड़ दिया।
छोटी-छोटी चूक बनी बड़े नुकसान की वजह
रिपोर्ट में कई अन्य अनियमितताएं भी सामने आई हैं। फ्लोर एरिया रेशियो, कन्वर्जन और एकमुश्त पार्किंग शुल्क की कम या गैर-जमा राशि के कारण 9 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। इसके अलावा, संशोधित लाइसेंस शुल्क संरचना को समय पर अपलोड न करने से 3 करोड़ रुपये और कोविड-19 के दौरान दिल्ली सरकार को हाउसकीपिंग और स्वच्छता सेवाओं के लिए 3.37 करोड़ रुपये की गैर-वसूली हुई। प्रॉपर्टी टैक्स और उस पर ब्याज की देरी से वसूली में भी 2.9 करोड़ रुपये का घाटा हुआ।
ठेकेदारों को अनुचित भुगतान
ऑडिटरों ने कुछ और गंभीर मसले उठाए हैं। ठेकेदारों को डिलीवरी चालान के बिना 3 करोड़ रुपये और बिना गुणवत्ता आश्वासन के 1.64 करोड़ रुपये का भुगतान कर दिया गया। यह एमसीडी की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े करता है।
एमसीडी के एक अधिकारी ने बताया कि ये केवल ऑडिटरों की प्रारंभिक टिप्पणियां हैं। स्टैंडिंग कमेटी की टिप्पणियों के बाद ही रिपोर्ट को अंतिम रूप दिया जाएगा। लेकिन इतना साफ है कि इन खामियों ने एमसीडी की वित्तीय सेहत को कमजोर किया है।
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