दिल्ली हाईकोर्ट ने अपने एक और अहम फैसले में कहा है कि अगर पिता सभी सुख भोग रहा है तो बच्चों को भी उसी स्तर का जीवन जीने का अधिकार है। हाईको...
दिल्ली हाईकोर्ट ने अपने एक और अहम फैसले में कहा है कि अगर पिता सभी सुख भोग रहा है तो बच्चों को भी उसी स्तर का जीवन जीने का अधिकार है। हाईकोर्ट ने पिता को अपनी एक्सयूवी गाड़ी पत्नी के नाम करने का आदेश दिया है, ताकि उसके बच्चे भी अपने पिता के स्तर से जीवन का आनंद उठा सकें।
हाईकोर्ट में पहुंचा यह मामला एक ऐसे परिवार से जुड़ा है, जहां बच्चों के पिता की मंथली इनकम लगभग छह लाख रुपये है, जबकि उनकी मां करीब सवा लाख रुपये महीना कमाती है। मां के ऊपर हाउसिंग लोन की 56 हजार रुपये की मासिक किस्त का बोझ भी है, जिससे बच्चों की शिक्षा और जरूरतों का खर्च मुश्किल से पूरा हो पाता है। वहीं, पिता महंगी कारों में घूमते हुए ऐशो-आराम की जिंदगी बिता रहे हैं।
हाईकोर्ट ने निचली अदालत द्वारा तय गुजारा भत्ता भी बढ़ाया
हाईकोर्ट की बेंच ने अपने फैसले में कहा कि बच्चों की जरूरतें ही पूरी होना काफी नहीं, उन्हें पिता की हैसियत के मुताबिक सुविधाएं भी मिलनी चाहिए। इसके साथ ही हाईकोर्ट ने निचली अदालत द्वारा तय गुजारा भत्ता भी बढ़ा दिया है और पिता को हर महीने बच्चों की पढ़ाई व अन्य खर्चों के लिए 1.23 लाख रुपये देने का आदेश दिया है।
पति की आईटीआर में 70 लाख सालाना की इनकम का जिक्र
कोर्ट ने कहा कि यह रकम अप्रैल 2024 से लागू होगी और पिछली तिथि से ही इसका भुगतान करना होगा। सुनवाई में पत्नी ने अदालत के सामने पति की इनकम टैक्स रिटर्न (आईटीआर) पेश की, जिसमें उसकी वार्षिक आय 70 लाख रुपये से अधिक दिखाई गई। इस पर अदालत ने कहा कि बच्चों की परवरिश की जिम्मेदारी पिता को भी बराबरी से उठानी होगी।
कोई टिप्पणी नहीं