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CBI ने नोएडा में बिल्डर और बैंक नेक्सस के जुटाए सबूत, SC में जल्द दाखिल की जा सकती है रिपोर्ट

 सीबीआई की 10 से अधिक टीमों ने नोएडा में बिल्डर-बैंक गठजोड़ मामले की जांच तेज कर दी है। टीमों ने बिल्डर और बैंकों के दस्तावेज खंगालकर साक्ष्...



 सीबीआई की 10 से अधिक टीमों ने नोएडा में बिल्डर-बैंक गठजोड़ मामले की जांच तेज कर दी है। टीमों ने बिल्डर और बैंकों के दस्तावेज खंगालकर साक्ष्य जुटाए हैं। सीबीआई इस मामले में जल्द ही अपनी एक और रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में दाखिल कर सकती है।

सबवेंशन स्कीम के नाम पर फ्लैट खरीदारों के साथ हुई धोखाधड़ी के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को मामले की जांच करने का आदेश दिया था। कोर्ट से अनुमति मिलने के बाद सीबीआई ने हाल ही में 22 बिल्डरों के खिलाफ दिल्ली में मुकदमे दर्ज किए थे। इन मुकदमों की जांच में सीबीआई की टीमें लगातार जुटी हैं।

वरिष्ठ अधिकारिक सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, पिछले एक सप्ताह से सीबीआई की 10 से अधिक टीमें गौतमबुद्धनगर जिले में सक्रिय हैं। वे इन बिल्डर की परियोजनाओं का मौके पर निरीक्षण करने के साथ ही उनके दफ्तरों में जांच कर साक्ष्य जुटा रही हैं और दस्तावेजों को अपने कब्जे में ले रही हैं। इस बीच सीबीआई के अधिकारी नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना तीनों प्राधिकरणों के कार्यालयों और बैंकों से भी जांच से दस्तावेज ले चुके हैं। कोर्ट में शिकायत करने वाले फ्लैट खरीदारों से भी सीबीआई की टीम के अधिकारी संपर्क कर रहे हैं और उनसे भी आवश्यक साक्ष्य ले रहे हैं।


सीबीआई की टीमें पूरे एनसीआर में जांच कर रही हैं। इन मामलों में सिर्फ बिल्डर ही नहीं बल्कि प्राधिकरण और बैंक भी जांच के दायरे में है। सीबीआई द्वारा उनकी भूमिका की भी जांच की जा रही है। आरोप है कि उनके द्वारा परियोजनाओं की सही से निगरानी नहीं की गई और बिल्डरों को मनमानी करने की छूट दी गई। इसके चलते हजारों घर खरीदारों को परेशान होना पड़ा।


इन परियोजनाओं की जांच चल रही : सुपरटेक लिमिटेड की पांच से अधिक परियोजनाएं, एवीजे डेवलपर्स की एवीजे हाइट्स, अर्थकॉन यूनिवर्सल इंफ्राटेक की कासा रॉयल, रुद्र बिल्डवेल प्रोजेक्ट्स की रुद्र पैलेस हाइट, जियोटेक प्रमोटर्स की जियोटेक ब्लेसिंग, शुभकामना बिल्डटेक की शुभकामना सिटी, बुलंद बिल्डटेक की बुलंद एलिवेट्स, डिसेंट बिल्डवेल की श्रीराधा एक्वा गार्डन्स, रुद्र बिल्डवेल कंस्ट्रक्शन की केबीएनओडब्ल्यूएस अपार्टमेंट्स, साहा इंफ्राटेक की अमाडेस, ड्रीम प्रोकॉन की विक्ट्री ऐस, लॉजिक्स सिटी डेवलपर्स की ब्लॉसम जेस्ट, शुभकामना बिल्डटेक की शुभकामना-एडवर्ट टेक होम्स, जेपी इंफ्राटेक लिमिटेड की ऑर्चर्ड्स, सीक्वल बिल्डकॉन की द बेल्वेडियर, अजनारा इंडिया लिमिटेड की अजनारा एम्ब्रोसिया, वाटिका लिमिटेड की वाटिका टर्निंग पॉइंट, सीएचडी डेवलपर्स की 106 गोल्फ एवेन्यू, नाइनेक्स डेवलपर्स लिमिटेड की नाइनक्स सिटी, जेपी स्पोर्ट्स इंटरनेशनल/जयप्रकाश एसोसिएट्स की कोव और कासिया, आइडिया बिल्डर्स की रेड एप्पल रेजिडेंसी और मंजू जे होम्स की रेड एप्पल होम्स परियोजना।

 

सबवेंशन स्कीम के नाम पर हुआ खेल


बिल्डरों ने यह पूरा खेल सबवेंशन स्कीम के नाम पर किया। इस आर्थिक सहायता योजना के तहत बैंक स्वीकृत लोन राशि सीधे बिल्डरों के खातों में जमा करते। उन्हें स्वीकृत लोन राशि पर ईएमआई (मासिक किस्त) का तब तक भुगतान करना होता है, जब तक फ्लैट घर खरीदारों को नहीं सौंप दिए जाते। लेकिन बिल्डरों ने जब बैंकों को किश्त का भुगतान नहीं किया तो त्रिपक्षीय समझौते के तहत बैंकों ने घर खरीदारों से ईएमआई जमा करने के लिए कहा। ऐसा न करने पर‍ बकायेदार बनाने की धमकी दी और उनसे लोन की रकम जमा कराई, जबकि उन्हें फ्लैट नहीं मिले थे।


खरीदारों ने याचिका लगाई


सुप्रीम कोर्ट में 1200 से ज्‍यादा घर खरीदारों ने याचिका दायर की। इन खरीदारों ने नोएडा, ग्रेटर नोएडा और गुरुग्राम की परियोजनाओं में सब्सिडी योजना के तहत फ्लैट बुक किए थे। उनका आरोप है कि फ्लैटों पर कब्जा न मिलने बावजूद बैंकों ने उन पर ईएमआई के भुगतान का दबाव डाला। मामले में सुपरटेक ग्रुप के 700 से अधिक खरीदारों ने शिकायत की थी।




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