सीबीआई ने नोएडा-ग्रेनो सहित एनसीआर में फ्लैट खरीदारों के साथ धोखाधड़ी मामले की जांच तेज कर दी है। सीबीआई ने दिल्ली, नोएडा, ग्रेटर नोएडा, ग...
सीबीआई ने नोएडा-ग्रेनो सहित एनसीआर में फ्लैट खरीदारों के साथ धोखाधड़ी मामले की जांच तेज कर दी है। सीबीआई ने दिल्ली, नोएडा, ग्रेटर नोएडा, गुरुग्राम और गाजियाबाद में बिल्डरों के 47 ठिकानों पर तलाशी लेकर अहम दस्तावेज और डिजिटल इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य जब्त किए।
ईडी भी कर सकती है जांच
कार्रवाई से गौतमबुद्ध नगर के बिल्डरों में हड़कंप मचा हुआ है। मामले में अब ईडी भी जांच कर सकती है। सीबीआई ने जिले के कई प्रमुख बिल्डरों के खिलाफ मुकदमे दर्ज किए। इन बिल्डरों में सुपरटेक, अजनारा, जेपी इंफ्राटेक, जेपी एसोसिएट्स, लॉजिक्स, शुभकामना, रुद्र शामिल हैं। इनकी परियोजनाओं में गौतमबुद्ध नगर के 25 हजार से अधिक खरीदार पिछले 10-12 वर्षों से अपने फ्लैट का इंतजार कर रहे हैं। सीबीआई ने यह कार्रवाई सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति एन कोटेश्वर सिंह की पीठ के आदेश पर की। कोर्ट में 1200 से ज्यादा फ्लैट खरीदारों ने याचिका लगाई थी।
वहीं, प्रतीक जैन, अक्षय जैन और परिजन रेड एप्पल, आईडिया बिल्डर्स और मंजू जे. होम्स जो कंपनी के मालिक हैं,इन पर फ्लैट देने के नाम पर लोगों से 500 करोड़ ठगने के आरोप है। इन पर सवा सौ केस दर्ज हैं।
इन बिल्डरों के खिलाफ मुकदमे दर्ज
सुपरटेक लिमिटेड, एवीजे डेवलपर्स, अर्थकॉन यूनिवर्सल इंफ्राटेक प्राइवेट लिमिटेड, रुद्र बिल्डवेल प्रोजेक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड, जियोटेक प्रमोटर्स प्राइवेट लिमिटेड, शुभकामना बिल्डटेक, बुलंद बिल्डटेक, डिसेंट बिल्डवेल, रुद्र बिल्डवेल कंस्ट्रक्शन, साहा इंफ्राटेक प्रा. लिमिटेड, ड्रीम प्रोकॉन प्राइवेट लिमिटेड, लॉजिक्स सिटी डेवलपर्स, शुभकामना बिल्डटेक, जेपी इंफ्राटेक लिमिटेड, सीक्वल बिल्डकॉन प्राइवेट लिमिटेड, अजनारा इंडिया लिमिटेड, वाटिका लिमिटेड, सीएचडी डेवलपर्स, नाइनेक्स डेवलपर्स लिमिटेड, जेपी स्पोर्ट्स इंटरनेशनल /जयप्रकाश एसोसिएट्स, आइडिया बिल्डर्स, मंजू जे होम्स समेत अन्य बिल्डरों के खिलाफ मुकदमे दर्ज किए है।
सबवेंशन स्कीम के नाम पर किया फर्जीवाड़ा
बिल्डरों ने यह पूरा खेल सबवेंशन स्कीम के नाम पर किया। आर्थिक सहायता योजना के तहत बैंक स्वीकृत की गई गृह कर्ज की राशि सीधे बिल्डरों के खातों में जमा करते हैं, जिन्हें ऋण पर मासिक किस्त का तब तक भुगतान करना होता है, जब तक फ्लैट खरीदारों को सौंप नहीं दिए जाते। बिल्डरों ने जब बैंकों को किस्त का भुगतान नहीं किया तो त्रिपक्षीय समझौते के तहत खरीदारों से ईएमआई जमा करने के लिए कहा।
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