आंसू, खुशी और राहत भरी मुस्कान, परिवार से मिलकर भावुक हुए ईरान से लौटे छात्र; कहा- हिंदुस्तान जिंदाबाद


दिल्ली के आईजीआई एयरपोर्ट पर शुक्रवार रात को लोगों की भावनाएं उमड़ पड़ीं। युद्ध के बीच ईरान से लौटे छात्र जब अपने परिवार वालों से मिले तो उनकी आंखों में आंसू, चेहरे पर खुशी और राहत भरी मुस्कान थी। टर्मिनल 3 के गेट नंबर 6 से बाहर निकलते हुए कुछ लोगों ने ‘भारत माता की जय’ और ‘हिंदुस्तान जिंदाबाद’ के नारे भी लगाए।


शुक्रवार रात 11:32 बजे जब दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर ऑपरेशन सिंधु के तहत ईरान से निकाले गए लगभग 290 भारतीयों को लेकर महान एयरलाइंस के विमान के उतरने की खबर लगी तो चिंतित माता-पिता और परिवार के सदस्यों के चेहरे पर राहत की मुस्कान आ गई। इजरायल द्वारा ईरानी सैन्य और परमाणु प्रतिष्ठानों पर हवाई हमलों के बीच लगभग 10000 भारतीय वहां फंसे थे। इनमें से कई छात्र थे, जो ईरान में पढ़ाई कर रहे थे। ईरान के एक वरिष्ठ राजनयिक ने शुक्रवार को कहा था कि ईरान ने लगभग 1000 भारतीय नागरिकों को निकालने के लिए तीन चार्टर उड़ानों के लिए हवाई क्षेत्र प्रतिबंधों में ढील दी। भारतीयों को तेहरान से सुरक्षित स्थानों पर ले जाया गया।


तेहरान स्थित इस्लामिक आजाद विश्वविद्यालय की एमबीबीएस सेकंड ईयर की छात्रा सादिया शेख ने कहा कि भारतीय दूतावास के अधिकारियों ने यह सुनिश्चित किया कि यात्रा के दौरान हम सुरक्षित रहें। सभी यात्रियों को भोजन और अन्य आवश्यक चीजों की आपूर्ति हो। दिल्ली हवाई अड्डे पर अपने पिता निखत शेख को गले लगाते हुए 22 साल की सादिया ने कहा कि हमें तेहरान से सुरक्षित तरीके से बाहर निकलने का मौका मिला।

श्रीनगर निवासी 21 साल के दाउद तेहरान में एमबीबीएस के थर्ड ईयर के छात्र हैं। उन्होंने बताया कि तेहरान पर भारी बमबारी के बीच बचाव अभियान लगभग तीन से चार दिन पहले शुरू हुआ था। हमें क़ोम शहर के लिए बस में सवार होना था जो तेहरान से लगभग 150 किलोमीटर दूर है। क़ोम से हमने मशहद शहर के लिए 14 घंटे की बस यात्रा की। वहां से हम विमान में सवार हुए।


श्रीनगर के ही 22 साल के मिफ़्ताब लाल ने एचटी को बताया कि तेहरान शहर में रॉकेट और ड्रोन गिर रहे थे। बहुत बड़े विस्फोट हो रहे थे। हमारी निकासी के दौरान भारतीय अधिकारी हमारे साथ थे। वे पूरी यात्रा में हमारा मार्गदर्शन कर रहे थे।


इस्लामिक आजाद विश्वविद्यालय की एमबीबीएस की थर्ड ईयर की छात्रा इर्तिका ने कहा कि कई विस्फोट हुए। हमें नहीं पता था कि शहर में वे कहां और कैसे हो रहे हैं। हम खिड़की से बाहर झांक रहे थे और रात के आसमान में मिसाइलों को गिरते देख रहे थे। मिसाइलों और बमों के फटने की आवाजों ने छात्रों में दहशत पैदा कर दी। युद्ध जारी रहने के कारण हमारी पढ़ाई रुक गई है। कॉलेज अनिश्चित काल के लिए बंद हो गया है। हमें नहीं पता कि हम कब वापस लौटेंगे और अपना कोर्स कब शुरू करेंगे।


छात्रों के अलावा, महान एयरलाइंस की फ्लाइट में ईरान की तीर्थ यात्रा पर गए यात्री भी सवार थे। उत्तर प्रदेश के सहारनपुर के रहने वाले 44 साल के सैयद नजामुल हसन 3 जून को मशहद गए थे और 14 जून को घर लौटने वाले थे। उन्होंने कहा, "मेरी फ्लाइट कैंसिल हो गई। मेरा परिवार डरा हुआ था क्योंकि उन्हें नहीं पता था कि हम कब वापस लौटेंगे।"


ईरान से भारतीयों को लेकर आने वाली दूसरी फ्लाइट ने ढाई घंटे का समय लिया और शनिवार सुबह लैंड हुई। भारत लौटने के इच्छुक अन्य लोगों के लिए आने वाले दिनों में और भी उड़ानें संचालित की जा सकती हैं।




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