डीयू के सिलेबस से हटाया जा सकता है चीन, पाकिस्तान और इस्लाम का पाठ, कमेटी ने की सिफारिश


दिल्ली यूनिवर्सिटी में एक बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है, क्योंकि यूनिवर्सिटी की सिलेबस कमेटी ने एमए पॉलिटिकल साइंस के सिलेबस से पाकिस्तान, चीन, इस्लाम और राजनीतिक हिंसा जैसे विषयों को हटाने की सिफारिश की है। इस फैसले ने शिक्षकों के बीच तीखी बहस छेड़ दी है, जो इसे राजनीतिक रूप से प्रेरित बता रहे हैं।


क्या-क्या हटाने की बात?


मंगलवार को डीयू की स्टैंडिंग कमेटी ऑन एकेडमिक मैटर्स की बैठक में कई कोर्स पर चर्चा हुई। स्टैंडिंग कमेटी की सदस्य डॉ. मोनमी सिन्हा ने बताया कि 'पाकिस्तान एंड द वर्ल्ड', 'चीन रोल इन कंटेम्परेरी वर्ल्ड', 'इस्लाम एंड इंटरनेशनल रिलेशंस', 'पाकिस्तान: स्टेट एंड सोसाइटी' और 'रिलीजियस नेशनलिज्म एंड पॉलिटिकल वायलेंस' जैसे कोर्स या तो पूरी तरह हटाए जाएंगे या इनमें बड़े बदलाव किए जाएंगे। इन कोर्स की जगह नए विषयों को शामिल करने की योजना है, जिन्हें पहले डिपार्टमेंट की कोर्स कमेटी तैयार करेगी और फिर अप्रूवल के लिए यूनिवर्सिटी सिलेबस पैनल और एकेडमिक काउंसिल के सामने रखा जाएगा।


शिक्षकों का गुस्सा: 'यह अकादमिक स्वायत्तता पर हमला'


शिक्षकों ने इस फैसले पर कड़ा ऐतराज जताया है। डॉ. मोनमी सिन्हा ने कहा, "पाकिस्तान का गहन अध्ययन जरूरी है, क्योंकि यह भारत की विदेश नीति के लिए एक स्थायी चुनौती है।" उन्होंने चीन को भी नजरअंदाज करने के खिलाफ चेतावनी दी, जो ग्लोबल साउथ में उभरता हुआ एक बड़ा खिलाड़ी है। डेमोक्रेटिक टीचर्स फ्रंट की सचिव अभा देव ने इसे अकादमिक स्वायत्तता पर हमला बताया और कहा, "ये बदलाव जबरदस्ती थोपे गए हैं और पूरी तरह से राजनीति से प्रेरित हैं। डीयू अपने अंडरग्रेजुएट कोर्स के लिए जाना जाता था, लेकिन ये बदलाव छात्रों की स्कॉलरशिप को नुकसान पहुंचाएंगे।"


ये कोर्स भी हटाए जा सकते हैं


पॉलिटिकल साइंस के अलावा, एमए जियोग्राफी के सेमेस्टर 1 में यूनिट 3 (आंतरिक संघर्ष और धार्मिक हिंसा) को भी हटाने की सिफारिश की गई है, जिसमें पॉल ब्रास का एक महत्वपूर्ण टेक्स्ट शामिल था। सोशल जियोग्राफी में 'एससी पॉपुलेशन डिस्ट्रीब्यूशन' जैसे विषयों को कम करने की बात कही गई, क्योंकि कमेटी के चेयर ने जाति से संबंधित सामग्री पर आपत्ति जताई। इसके अलावा, वल्नरेबिलिटी और डिजास्टर से जुड़ा एक कोर्स भी हटाया जा सकता है।


समाजशास्त्र और समलैंगिक परिवारों पर भी सवाल


समाजशास्त्र के प्रारंभिक सिद्धांत कोर्स में मार्क्स, वेबर और डुर्खीम पर आधारित सामग्री की आलोचना हुई और भारतीय सिद्धांतकारों व संयुक्त परिवार की संरचना को शामिल करने की मांग की गई। साथ ही, कैथ वेस्टन के समलैंगिक परिवारों पर रीडिंग को भी हटाने की बात उठी, क्योंकि कमेटी के चेयर ने कहा कि भारत में समलैंगिक विवाह कानूनी नहीं हैं।


यूनिवर्सिटी प्रशासन की चुप्पी


इस मुद्दे पर डीयू प्रशासन से संपर्क करने की कोशिश की गई, लेकिन खबर लिखे जाने तक कोई जवाब नहीं मिला। हाल ही में डीयू के वाइस चांसलर योगेश सिंह ने कहा था कि विभागों को अपने सिलेबस की समीक्षा करने और पाकिस्तान के 'अनावश्यक महिमामंडन' को हटाने के लिए कहा गया है। यह बयान जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले के बाद आया था।





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