जम्मू-कश्मीर में किश्तवाड़ जिले में मचैल माता यात्रा के दौरान चशोटी गांव में बादल फटने के बाद आई बाढ़ और मलबे में दबने से अब तक 65 लोगों क...
जम्मू-कश्मीर में किश्तवाड़ जिले में मचैल माता यात्रा के दौरान चशोटी गांव में बादल फटने के बाद आई बाढ़ और मलबे में दबने से अब तक 65 लोगों की मौत हो चुकी है. हादसे में अभी भी कई लोगों के शव मलबे में दबे होने की आशंका जताई जा रही है. यह हादसा 14 अगस्त दोपहर 12:30 बजे हुआ था. यह यात्रा का पहला पड़ाव माना जाता है. यहां भारी संख्या में श्रद्धालुओं के साथ-साथ बसें, टेंट, लंगर और कई दुकानें थीं, लेकिन बाढ़ में सब कुछ बह गया.
प्रशासन लगातार पीड़ितों के मदद में जुटी हुई है और राहत बचाव कार्य जारी है. NDRF, राष्ट्रीय राइफल के जवान, व्हाइट नाइट कोर की मेडिकल टीम, जम्मू-कश्मीर पुलिस, SDRF और अन्य एजेंसियां ऑपरेशन में जुटी हैं. इस हादसे में 100 से ज्यादा लोग घायल हैं, जबकि 200 से अधिक लोग लापता बताए जा रहे हैं, उनकी तलाश जारी है.
आज चसोटी गांव जाएंगे मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला
15 अगस्त को मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला किश्तवाड़ पहुंच चुके हैं. वे स्थानीय लोगों से मिले और हालात का जायजा लिया. आज 16 अगस्त को वो चसोटी गांव जाएंगे. यहां मीडिया से बातचीत में उन्होंने कहा, ‘करीब 60 शव बरामद हुए हैं. लापता लोगों की संख्या का आकलन किया जा रहा है. सेना, NDRF, SDRF, पुलिस प्रशासन की और हमें हर संभव मदद का आश्वासन दिया है.
बताया जा रहा कि जिस चशोटी गांव में यह त्रासदी आई है, उस गांव की आबादी करीब 300 के आस पास है. गांव में 40 से ज्यादा घर हैं तो वहीं इस गांव में 10 से ज्यादा होमस्टे भी हैं. यह गांव किश्तवाड़ शहर से लगभग 90 किलोमीटर दूर है. यह जगह पड्डर घाटी में है.
9 साल की मासूम ने बतायी आपबीती
इस त्रासदी में एक 9 साल की बच्ची रेस्क्यू कर बचाया गया. बच्ची ने रेस्क्यू के बाद बताया कि वह सांस भी नही ले पा रही थी. लेकिन माता रानी ने उसे बचा लिया. बच्ची का नाम देवंशी बताया जा रहा है. उसने बताया कि वह रिश्तेदारों के साथ मचैल माता मंदिर की यात्रा के लिए जा रही थी. इस दौरान वह इस गांव में पहुंची थी. अचानक आई बाढ और मलबे में सब ढह गया और वह कीचड़ के मलबे के बीच फंस गई. कई घंटों के बाद चाचा और गांव के लोग ने उसे बचा लिया. इस हादसे में बचे हर इंसान की ऐसी ही एक भयावह कहानी है.
ليست هناك تعليقات