प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने गुरुग्राम और नई दिल्ली में सात ठिकानों पर छापेमारी कर अमेरिकी लोगों को ठगने वाले फर्जी कॉल सेंटर का भंडाफोड़ किय...
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने गुरुग्राम और नई दिल्ली में सात ठिकानों पर छापेमारी कर अमेरिकी लोगों को ठगने वाले फर्जी कॉल सेंटर का भंडाफोड़ किया है। छापेमारी के दौरान आठ लग्जरी कारें, कई महंगी घड़ियां, बंगले समेत करोड़ों की संपत्तियां जब्त की गईं। इसके अलावा 30 बैंक खाते फ्रीज किए गए।
ईडी गुरुग्राम की टीम ने यह कार्रवाई सीबीआई द्वारा दर्ज एक एफआईआर के आधार पर की। इसके अनुसार, नवंबर 2022 से अप्रैल 2024 के बीच अज्ञात आरोपियों ने आपराधिक साजिश के तहत दिल्ली और एनसीआर के क्षेत्रों से अवैध कॉल सेंटर चलाए। जालसाजों ने अमेरिकी नागरिकों को तकनीकी सहायता देने का झांसा देकर उनसे ठगी की। आरोप है कि इस दौरान पीड़ितों से लगभग 125 करोड़ रुपये की ठगी की गई। जांच के दौरान मनी लॉन्ड्रिंग के भी सबूत मिले। इसी आधार पर ईडी ने 20 अगस्त को छापेमारी कर बड़े अवैध कॉल सेंटर घोटाले का खुलासा किया।
ईडी सूत्रों के अनुसार, अब तक की जांच से पता चला है कि अर्जुन गुलाटी, दिव्यांश गोयल और अभिनव कालरा नामक तीन आरोपी गुरुग्राम और नोएडा में एक अवैध कॉल सेंटर चला रहे थे। मुख्य आरोपियों के बैंक खाते फ्रीज कर दिए गए हैं। अधिकारियों का कहना है कि यह जांच अभी जारी है।
‘घोटाले में शामिल आरोपी आलीशान जिंदगी जी रहे’
ईडी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि दिल्ली, गुरुग्राम में छापेमारी के दौरान कई महत्वपूर्ण दस्तावेज और डिजिटल रिकॉर्ड जब्त किए गए हैं। कई प्रमुख व्यक्तियों के बयान भी दर्ज किए गए हैं। जब्त संपत्ति में बड़े बंगले, लग्जरी कारें और अन्य महंगी वस्तुएं शामिल हैं। ये लोग आलीशान घरों में रह रहे थे।
अवैध रुपये से की गई कमाई से जालसाजों ने 100 करोड़ रुपये से अधिक की मूल्यवान संपत्तियां अर्जित कीं। इसके बाद वे बैंक खातों से रुपये निकालकर कई विदेशी बैंक खातों में भेज देते और फिर 200 से अधिक भारतीय बैंक खातों के माध्यम से रकम को भारत में वापस लाते थे।
कॉल सेंटर से पॉप-अप मैसेज भेजकर फंसाते थे
अर्जुन गुलाटी, दिव्यांश गोयल और अभिनव कालरा नामक तीन आरोपी गुरुग्राम और नोएडा में अवैध कॉल सेंटर चला रहे थे। ये लोग अमेरिकियों को तकनीकी सहायता के बहाने उनको पॉप-अप का मैसेज भेजते। पॉप-अप में कॉल सेंटर का नंबर होता। इससे जालसाज पीड़ितों से 100 से 500 डॉलर तक कंप्यूटर ठीक करने के नाम पर वसूलते।
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