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'हिंदू आतंकवादी नहीं हो सकता' पर कांग्रेस नेता- चंगेज खान के जुल्म कम पड़ जाएंगे

  पूर्व सांसद और कांग्रेस नेता उदित राज ने हिंदुओं में जातिवाद का जिक्र करते हुए कहा है कि शूद्रों के साथ जो कुछ किया गया, उसके सामने जर्मनी...

 


पूर्व सांसद और कांग्रेस नेता उदित राज ने हिंदुओं में जातिवाद का जिक्र करते हुए कहा है कि शूद्रों के साथ जो कुछ किया गया, उसके सामने जर्मनी के तानाशाह हिटलर और क्रूर मंगोल शासक चंगेज खान के जुल्म भी कम पड़ जाएंगे। कांग्रेस नेता ने 'हिंदू आतंकवादी नहीं हो सकता' की चल रही विमर्श का जिक्र करते हुए यह बात कही। पहले संसद में गृह मंत्री अमित शाह के बयान और फिर मालेगांव ब्लास्ट केस में साध्वी प्रज्ञा समेत सभी आरोपियों के बरी हो जाने के बाद भाजपा कांग्रेस पर हमलावर है, जिसके कुछ नेताओं ने 'हिंदू आतंकवाद, भगवा आतंकवाद' जैसे शब्दों को गढ़ने का आरोप लगाया जाता है।

उदित राज ने जातिवाद और छूआछूत का जिक्र करते हुए कहा कि अनगिनत पीढ़ियों ने सितम झेले हैं। उन्होंने एक्स पर एक पोस्ट में लिखा, ''हिंदू आतंकवादी नहीं हो सकता' इसकी चर्चा खूब हो रही है लेकिन उनसे पूछो जिसने अनगिनत पीढ़ियों से सितम झेले हैं और चालू है । स्तन ढकने पर टैक्स लिया जाता था। गले में लोटा और कमर में झाड़ू बांधकर शुद्र को घर से निकलना पड़ता था। अभी भी मंदिर प्रवेश वर्जित है। अछूत हैं इसलिए गांव के किनारे अलग टोला में बसाए गए, अच्छे कपड़े - जूते पहनने पर मार दिए जाते हैं। शादी- विवाह में दूल्हा घोड़ी पर चढ़ नहीं सकता। एक वरिष्ठ पत्रकार मिलना मुश्किल है। रेप करना आसान बात है। कुल हिसाब लगाया जाए तो हिटलर और चेंगेज खान के जुल्म भी कम पड़ जाएंगे।'

 

मालेगांव ब्लास्ट में साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर समेत सभी सात आरोपियों को एनआईए की अदालत से बरी किए जाने के बाद अपनी पहली प्रतिक्रिया में उदित राज ने तंज कसते हुए लिखा था, 'मतलब मालेगांव में ब्लास्ट हुआ ही नहीं। वहां कोई न मरा और न ही घायल हुआ। गौरतलब है कि 17 साल पहले गिरफ्तार किए गए इन आरोपियों को अदालत ने यह कहते हुए बरी कर दिया कि दोषी साबित करने के लिए पर्याप्त सबूत नहीं उपलब्ध हैं।


इससे पहले शुक्रवार को एक कार्यक्रम में उदित राज ने कहा कि अगर 'हिंदू मुस्लिम' का मामला न होता तो देश में कई आंदोलन खड़े हो जाते। वर्तमान में देश के लोगों में हिंदू मुस्लिम का नफरत नसों में घुस गया है। लोग महंगाई, बेरोजगारी, जैसे बुनियादी मुद्दों पर भी नहीं बोल रहे हैं।




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