ईटानगर, एजेंसी। भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) बीआर गवई ने रविवार को कहा कि न्याय सिर्फ सत्ता के गलियारों तक सीमित न रहे, बल्कि तेजी और क...
ईटानगर, एजेंसी। भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) बीआर गवई ने रविवार को कहा कि न्याय सिर्फ सत्ता के गलियारों तक सीमित न रहे, बल्कि तेजी और कम खर्च में सीधे जनता के दरवाजे तक पहुंचे। उन्होंने कहा कि न्यायपालिका, विधायिका और कार्यपालिका का असली मकसद जनता की सेवा है। गौहाटी हाईकोर्ट की ईटानगर स्थायी पीठ के नए भवन के उद्घाटन के बाद न्यायमूर्ति गवई ने कहा, मैं हमेशा विकेंद्रीकरण का समर्थक रहा हूं। न्याय लोगों के दरवाजे तक पहुंचना चाहिए। उन्होंने स्पष्ट किया कि अदालतें, न्यायपालिका या विधायिका किसी शासक वर्ग, जजों या कार्यपालिका के सदस्यों के लिए नहीं, बल्कि जनता के लिए हैं।
देश आगे बढ़े पर संस्कृति-परंपरा की कीमत पर नहीं अरुणाचल प्रदेश की ‘एकता में विविधता की मिसाल देते हुए न्यायमूर्ति गवई ने बताया, राज्य में 26 प्रमुख जनजातियां और 100 से अधिक उप-जनजातियां हैं, जिनकी परंपराओं और संस्कृति को संरक्षित व प्रोत्साहित करने के लिए सरकार प्रयासरत है। उन्होंने कहा, देश को आगे बढ़ना चाहिए, लेकिन हमारी संस्कृति और परंपराओं की कीमत पर नहीं। संविधान के तहत यह हमारा मूल कर्तव्य है कि हम इन्हें संरक्षित रखें। ------------ न्याय को आम लोगों के लिए आसान बनाना जरूरी : रिजिजू केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने इस मौके पर कहा, न्यायिक बुनियादी ढांचे को मजबूत करना बेहद जरूरी है ताकि न्याय सुलभ, त्वरित और जनहितैषी बन सके। उन्होंने कहा कि न्याय केवल अदालतों की चारदीवारी में सीमित न रहे, बल्कि आम लोगों तक आसानी से पहुंचे। उन्होंने कहा, हमें आम लोगों के लिए न्याय को आसान बनाना है और जनता व न्याय के बीच की दूरी घटानी है। मोदी सरकार के सुधारों का जिक्र करते हुए रिजिजू ने बताया कि ब्रिटिश काल में बने 1,500 से अधिक अप्रासंगिक व पुराने कानून खत्म किए गए हैं, जो आम जनता के लिए परेशानी पैदा करते थे। देशभर में लंबित पांच करोड़ से अधिक मामलों पर चिंता जताते हुए उन्होंने कहा, ई-कोर्ट और संबंधित ढांचे के लिए केंद्र सरकार ने सात हजार करोड़ रुपये मंजूर किए हैं। ------------ भारतीय न्याय संहिता से बेहतर न्याय मिलेगा : मेघवाल केंद्रीय कानून मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) अर्जुन राम मेघवाल ने भी समारोह को संबोधित किया। उन्होंने कहा, नया न्यायालय परिसर सिर्फ एक इमारत नहीं, बल्कि न्याय का मंदिर है। उन्होंने इसे ‘विकसित भारत के लक्ष्य से जुड़ा विकास का माध्यम बताया और याद दिलाया कि 1 जुलाई 2024 को केंद्र सरकार ने ब्रिटिश काल के पुराने कानूनों को समाप्त कर भारतीय न्याय संहिता लागू की, जिससे जनता को बेहतर न्याय मिलेगा। ---- न्याय सबसे पहले और बिना देरी के पहुंचना चाहिए : न्यायमूर्ति अशुतोष कुमार गौहाटी हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश अशुतोष कुमार ने कहा, नया भवन संविधान के उस वादे को मजबूत करता है, जिसमें भौगोलिक सीमाओं के बिना न्याय की बात कही गई है। उन्होंने कहा, जिस तरह अरुणाचल प्रदेश देश में सबसे पहले सूर्योदय देखता है, उसी तरह यहां न्याय भी सबसे पहले और बिना देरी के पहुंचना चाहिए। न्यायालय भवन केवल ढांचा नहीं, बल्कि संवैधानिक नैतिकता के मंदिर हैं।
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