झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के संस्थापक और झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन का सोमवार सुबह निधन हो गया. वे लंबे समय से बीमार चल रहे थे...
झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के संस्थापक और झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन का सोमवार सुबह निधन हो गया. वे लंबे समय से बीमार चल रहे थे. दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल में अंतिम सांस ली. उनके निधन पर पीएम मोदी समेत राष्ट्रपति मुर्मू अस्पताल में ही श्रद्धांजलि देने पहुंचे. पिता के निधन के बाद बेटे और झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अपना दर्द जाहिर किया है.
सीएम सोरेन सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर पोस्ट में लिखा कि मैं अपने जीवन के सबसे कठिन दिनों से गुज़र रहा हूं. मेरे सिर से सिर्फ पिता का साया नहीं गया, झारखंड की आत्मा का स्तंभ चला गया है.
गरीबी और भूख के बीच भी थी हिम्मत
हेमंत सोरेन ने लिखा कि मैं उन्हें सिर्फ बाबा नहीं कहता था. वे मेरे पथ प्रदर्शक थे, मेरे विचारों की जड़ें थे और उस जंगल जैसी छाया थे, जिसने हजारों-लाखों झारखंडियों को धूप और अन्याय से बचाया. मेरे बाबा की शुरुआत बहुत साधारण थी. नेमरा गांव के उस छोटे से घर में जन्मे, जहां गरीबी थी, भूख थी, पर हिम्मत थी.
उन्होंने लिखा कि बचपन में ही उन्होंने अपने पिता को खो दिया. जमींदारी के शोषण ने उन्हें एक ऐसी आग दी, जिसने उन्हें पूरी जिंदगी संघर्षशील बना दिया. मैंने उन्हें देखा है हल चलाते हुए, लोगों के बीच बैठते हुए, सिर्फ भाषण नहीं देते थे, लोगों का दुःख जीते थे. बचपन में जब मैं उनसे पूछता था: बाबा, आपको लोग दिशोम गुरु क्यों कहते हैं? तो वे मुस्कुराकर कहते, क्योंकि बेटा, मैंने सिर्फ उनका दुख समझा और उनकी लड़ाई अपनी बना ली.
आगे लिखा कि वो उपाधि न किसी किताब में लिखी गई थी, न संसद ने दी. झारखंड की जनता के दिलों से निकली थी. दिशोम मतलब समाज, गुरु मतलब जो रास्ता दिखाए और सच कहूं तो बाबा ने हमें सिर्फ रास्ता नहीं दिखाया, हमें चलना सिखाया.
मैं डरता था पर बाबा कभी नहीं डरे- सोरेन
हेमंत सोरेन ने लिखा कि बचपन में मैंने उन्हें सिर्फ़ संघर्ष करते देखा, बड़े बड़ों से टक्कर लेते देखा. मैं डरता था पर बाबा कभी नहीं डरे. वे कहते थे अगर अन्याय के खिलाफ खड़ा होना अपराध है, तो मैं बार-बार दोषी बनूंगा. बाबा का संघर्ष कोई किताब नहीं समझा सकती. वो उनके पसीने में, उनकी आवाज में और उनकी चप्पल से ढकी फटी एड़ी में था. जब झारखंड राज्य बना, तो उनका सपना साकार हुआ पर उन्होंने कभी सत्ता को उपलब्धि नहीं माना.
उन्होंने कहा ये राज्य मेरे लिए कुर्सी नहीं यह मेरे लोगों की पहचान है. आज बाबा नहीं हैं, पर उनकी आवाज़ मेरे भीतर गूंज रही है. मैंने आपसे लड़ना सीखा बाबा, झुकना नहीं. मैंने आपसे झारखंड से प्रेम करना सीखा बिना किसी स्वार्थ के अब आप हमारे बीच नहीं हो, पर झारखंड की हर पगडंडी में आप हो. हर मांदर की थाप में, हर खेत की मिट्टी में, हर गरीब की आंखों में आप झांकते हो.
मैं झारखंड को झुकने नहीं दूंगा- हेमंत
सीएम हेमंत सोरेन ने लिखा कि आपने जो सपना देखा अब वो मेरा वादा है. मैं झारखंड को झुकने नहीं दूंगा, आपके नाम को मिटने नहीं दूंगा. आपका संघर्ष अधूरा नहीं रहेगा. बाबा, अब आप आराम कीजिए. आपने अपना धर्म निभा दिया. अब हमें चलना है आपके नक्शे-कदम पर, झारखंड आपका कर्ज़दार रहेगा. मैं, आपका बेटा, आपका वचन निभाऊंगा. वीर शिबू जिंदाबाद – जिंदाबाद, जिंदाबाद दिशोम गुरु अमर रहें. जय झारखंड, जय जय झारखंड.
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