महाराष्ट्र में चाचा-भतीजा फिर आमने-आमने, मालेगांव सहकारी चीनी मिल चुनाव में शरद-अजित पवार गुट में मुकाबला


महाराष्ट्र की राजनीति में पवार परिवार में एक बार फिर आमने-सामने है. इस बार मामला बारामती की बहुचर्चित मालेगांव सहकारी चीनी मिल के आगामी चुनाव से जुड़ा है. एनसीपी के दो धड़ों- अजित पवार के नेतृत्व वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (अजित गुट) और शरद पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी (शरद गुट) ने एक-दूसरे के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. यह चुनाव न केवल सहकारिता आंदोलन के लिहाज से अहम माना जा रहा है, बल्कि पवार परिवार के भीतर शक्ति संतुलन को लेकर भी बड़ा संकेत दे सकता है.


चार दशकों में पहली बार मालेगांव सहकारी मिल के चुनाव में सक्रिय रूप से भाग ले रहे उपमुख्यमंत्री अजित पवार को ‘नीलकंठेश्वर पैनल’ का समर्थन प्राप्त है. यह पैनल फिलहाल चीनी मिल में प्रभावी भूमिका निभा रहा है. दूसरी ओर, शरद पवार की पार्टी ने इसके जवाब में बलिराजा सहकार पैनल मैदान में उतार कर मुकाबले को सीधा बना दिया है. इसके साथ ही चुनावी मुकाबला तीखा हो गया है.


इस चुनाव के तहत 21 सदस्यीय निदेशक मंडल का गठन किया जाएगा, जिसके लिए कुल 90 उम्मीदवार मैदान में हैं. हालांकि, उम्मीदवार सीधे राजनीतिक दलों के नहीं हैं, बल्कि पैनलों के जरिये चुनाव लड़ रहे हैं.


सहकारी मिल चुनाव में शरद-अजित गुट में मुकाबला


नीलकंठेश्वर पैनल ने जहां अपने 21 उम्मीदवार खड़े किए हैं, वहीं बलिराजा सहकार पैनल ने 20 प्रत्याशी उतारे हैं. इसके अलावा ‘सहकार बचाव पैनल’ नामक एक तीसरा समूह भी चुनावी दौड़ में है, जिससे मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है.


यह चुनाव 22 जून को होगा, जबकि नतीजे 24 जून को घोषित किए जाएंगे. राजनीतिक पर्यवेक्षकों की नजर इस चुनाव पर इसलिए भी टिकी हुई है क्योंकि यह पवार परिवार के भीतर 2023 में हुए विभाजन के बाद का एक महत्वपूर्ण शक्ति परीक्षण माना जा रहा है.


हालांकि शरद पवार खुद चुनावी मैदान में नहीं हैं, लेकिन उन्होंने चुनाव प्रचार के दौरान बारामती तालुका के गांवों में पार्टी कार्यकर्ताओं और मिल के मतदाताओं को संबोधित किया. उन्होंने लोगों को सतर्क करते हुए कहा कि कुछ लोग सत्ता का दुरुपयोग कर सकते हैं और मतदाताओं को प्रलोभन देने की कोशिश कर सकते हैं. शरद पवार ने कहा, जो भी हो जाए, अपने वोट मत बेचिए। यह आपका अधिकार है और जिम्मेदारी भी.


पवार परिवार फिर से आमने-सामने


उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि पार्टी में हुए विभाजन के चलते एनसीपी (एसपी) को अलग पैनल उतारना पड़ा. उनका कहना था कि यदि सभी को साथ लेकर चलने का प्रयास होता, तो इस स्थिति से बचा जा सकता था. हालांकि उन्होंने इसे बीती बात बताते हुए कहा कि अब जरूरी है कि चुनाव के बाद स्थानीय मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया जाए.


शरद पवार ने यह भी स्पष्ट किया कि यह असहमति सिर्फ इस चुनाव तक सीमित है और लोकतंत्र में सबको अपनी बात रखने और चुनाव लड़ने का अधिकार है. उन्होंने कहा, इस चुनाव में केवल 19,000 मतदाता हैं, जो मिल के सदस्य हैं. चुनाव के बाद, जनता की भलाई के मुद्दों पर मिलकर काम किया जाना चाहिए.


चुनाव से पहले लगे ये आरोप


इस बीच, सहकारी बचाव पैनल ने पीडीसीसी बैंक पर गंभीर आरोप लगाए हैं. सहकारी बचाव पैनल ने दावा किया है कि बैंक रात 11 बजे तक खुला रहा और वहां वोटर लिस्ट मिली


रंजन टावरे के नेतृत्व में ‘सहकार बचाओ पैनल’ के कार्यकर्ताओं ने देर रात पीडीसीसी बैंक जाकर उसका निरीक्षण किया. पैनल ने दावा किया कि मालेगांव शुगर फैक्ट्री के चुनाव में पैसे का इस्तेमाल किया जा रहा है. इस समय बैंक में उपमुख्यमंत्री अजीत पवार के पीए सुनील मुसले और मंत्री दत्तात्रेय भरणे के सहकर्मी मौजूद थे, ऐसा रंजन टावरे ने कहा है. इसके कारण बारामती में राजनीतिक माहौल और भी गरमा गया है.




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